Title: Need to review the decision to involve the Arthur Andersen Company for promotion of Khadi and village industry.
श्री रामजीलाल सुमन (फिरोजाबाद) : सभापति महोदय, खादी एवं ग्रामोद्योग की दशा को बेहतर बनाने हेतु भारत सरकार ने एक विदेशी कम्पनी आर्थर एंडरसन के साथ करार किया है, जो चिन्ता का विषय है। खादी सिर्फ कपड़ा ही नहीं, एक विचार है। राष्ट्रीय आन्दोलन में खादी स्वदेशी एवं स्वावलम्बन का प्रतीक रही है। आज जो खादी एवं ग्रामोद्योग की स्थिति है, उसका प्रमुख कारण सरकार का इसकी ओर विशेष ध्यान न देना है। परिणामस्वरूप, खादी एवं ग्रामोद्योग में लगे ५७ लाख कारीगर आज भुखमरी की स्थिति में हैं। विदेशी कम्पनी के हाथों भारत में खादी का भविष्य तलाशने की सम्भावनाएं एक प्रकार से गांधी विचार की हत्या है। चूंकि खादी एवं ग्रामोद्योग की प्रगति का कार्य काफी लम्बी अवधि तक चलेगा, इसलिए आशा है कि आर्थर एंडरसन फर्म करोड़ों रुपये भारत से कमाएगी। फिलहाल खादी एवं ग्रामोद्योग का कारोबार हाथों पर निर्भर है। इस सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह विदेशी कम्पनी बजाय हाथों के मशीनों को तरजीह देने की बात कह सकती है, जिससे खादी एवं ग्रामोद्योग प्रभावित होंगे।
मेरा केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार करे।