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Title: Need to release the Central subsidy for the Solar Energy schemes proposed to be implemented in Madhya Pradesh & Rajasthan.
श्री चन्द्र मणि त्रिपाठी (रीवा) : महोदय, देश में विद्युत उत्पादन की तुलना में खपत काफी अधिक है और प्रायः प्रत्येक राज्य इस संकट से ग्रस्त है और इस कमी को दूर करने के लिए प्रयत्नशील भी है। केंद्र सरकार ऐसी विभिन्न ऊर्जा संबंधी परियोजनाओं को सहायता भी उपलब्ध करा रही है। साथ ही गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों के दोहन की भी आवश्यकता है, जिसमें पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी ऐसे कई स्थानों को चिन्हित किया गया है, जहां पवन ऊर्जा उत्पादित की जा सकती है तथा जो विद्युत की कमी को पूरा करने के लिए अपना न्यूनतम योगदान तो दे ही सकती है। इसी प्रकार सौर ऊर्जा की भी काफी संभावनाएं हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान ऐसे राज्य हैं जहां पर सौर ऊर्जा की प्रबल संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में कार्य भी हुआ है। विभिन्न प्रादेशिक सरकारों ने ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से जहां अपारम्परिक स्त्रोतों के दोहन की व्यवस्था की है, वहीं सौर ऊर्जा के बारे में भी कार्य प्रारम्भ किया गया है। जिसमें केंद्र की ओर से सहायता भी दी जा रही है।
किंतु स्थिति यह है कि सौर ऊर्जा की दृष्टि से जो योजनाएं अथवा छोटे प्रकल्प मध्य प्रदेश और राजस्थान द्वारा तैयार कर केंद्र को भेजे गए हैं, उन पर केंद्र की ओर से जो अनुदान (सब्सिडी) दिया जाना था, उनका यथाशीघ्र निस्तारण नहीं हो रहा है, अथवा अत्यधिक विलंब हो रहा है, इसलिए जिन योजनाओं के प्रति जो ग्रामीण क्षेत्रों अथवा छोटे-छोटे ग्रामों के लिए लाभप्रद हैं, उनको विद्युत आपूर्ति में बाधा आ रही है। उन राज्यों को जिनमें प्रमुखतः मध्य प्रदेश और उसके साथ लगा राज्य राजस्थान है, को केंद्र परियोजनाओं के लिए अपनी ओर से दिए जाने वाले अनुदान को अथवा सहायता का शीघ्र निपटान करें ताकि इन योजनाओं की क्रियान्विति हो कर ग्रामीण क्षेत्रों और उनके साथ-साथ शहरी क्षेत्रों को भी विद्युत से लाभान्वित किया जा सके।
MR. DEPUTY-SPEAKER: Shri P. Karunakaran – Not present.
Shri A.V. Bellarmin – Not present.