Judgements

Need To Pay Obeisance To The Works Done By Vir Sarvarkar And Madan Lal … on 14 March, 2007

Lok Sabha Debates
Need To Pay Obeisance To The Works Done By Vir Sarvarkar And Madan Lal … on 14 March, 2007


>

Title: Need to pay obeisance to the works done by Vir Sarvarkar and Madan Lal Dhingra to mark the 150th year of War of Independence in 1857 – laid.

 

श्रीमती सुमित्रा महाजन (इन्दौर) : महोदय, १८५७ के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को इस वर्ष १५० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह जी की अध्यक्षता में एक समति गठित की गई है। इस समति द्वारा वर्षभर में वविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मेरा आपसे अनुरोध है कि उसी दौरान स्वातंत्र वीर सावरकर द्वारा १८५७ का स्वतंत्रता समर का प्रथम ग्रंथ १९०७ में प्रकाशित हुआ था जिसके प्रकाशन के १०० वर्ष भी पूर्ण हो रहे हैं। उसके स्मरणार्थ केन्द्र सरकार द्वारा एक शताब्दी समारोह का आयोजन कर उस ग्रंथ को सभी मान्यवर लोक सभा, राज्य सभा के सदस्य, सभी राज्यों के राज्यपाल, मुख्य मंत्री और गणमान्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को वितरित किया जाए जिससे प्रत्येक भारतीय के दय में देश की अखंडता के लिए एकजुट संगठित रहने की भावना प्रज्जवलित हो। यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि स्वा. सावरकरजी ने सर्वप्रथम म्यूटिनी बंड जैसे अपमानजनक शब्दों को ठुकराकर उसे स्वतंत्रता समर की गौरवपूर्ण संज्ञा दी।

इसी संदर्भ में इस महान क्रांतिकारी द्वारा दिनांक ८ जुलाई, १९१० मार्सेलिस बंदरगाह में लगाई गई ऐतिहासिक समुद्री छलांग जोकि हर भारतीय के लिए गौरव है, को ८ जुलाई, २०१० में १०० वर्ष पूर्ण होंगे। इस ऐतिहासिक घटना की याद में एक समारोह का आयोजन किया जाए और ८ जुलाई, २०१० को फ्रांस में मार्सेलिस बंदरगाह पर उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए। साथ ही हुतात्मा मदनलाल धींगरा की प्रतिमा इंग्लैंड के इंडिया हाउस में स्थापित हो जिससे विदेश में रह रहे भारतीयों को और पर्यटकों को अपने देश के प्रति आदर व देशभक्ति की भावना को जागृत रखने की प्रेरणा मिलती रहेगी। पूर्व में भी हमारे देश के महान विभूतियों की प्रतिमाएं विश्व के कई देशों में स्थापित की गई हैं। अत: केन्द्र सरकार से मेरा आग्रह है कि इसके लिए अभी से प्रयत्न करना चाहिए ताकि २०१० तक इस महान् कार्य को पूरा किया जा सके।