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Need To Repeal €˜Dramatic Performance Act, 1876€™ With A View To … on 16 August, 2005

Lok Sabha Debates
Need To Repeal €˜Dramatic Performance Act, 1876€™ With A View To … on 16 August, 2005


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Title : Need to repeal ‘Dramatic Performance Act, 1876’ with a view to protect the interest of dramatists in the country.

 

श्री रामजीलाल सुमन (फ़िरोज़ाबाद) : महोदय, २२-२३ जून को अरविन्द गौड़ द्वारा निर्देशित नाटक जिन्ना का मंचल दिल्ली के हैबिटेट सेंटर प्रेक्षाग्रह में होना था। २१ जून की रात को इस नाटक के मंचन पर रोक लगा दी गयी। इस नाटक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उसने मोहम्मद अली जिन्ना के निजी जीवन पर झांक कर उस पक्ष पर अपनी उंगली रखी है, जो नितांत मानवीय है। जिस आधार पर इस नाटक के मंचन पर रोक लगायी गयी है, वह १६ दिसम्बर, १८७६ का ड्रेमेटिक परफोरमेंन्सेज एक्ट है। यह कानून अंग्रेजों ने इसलिए बनाया था ताकि कोई उनके शासन के विरूद्ध नाटक न खेल सके। कई मामलों में यह कानून स्पष्ट नहीं है और इसका लाभ सत्ता में बैठे लोग अपनी सुविधानुसार उठाते हैं। विडंबना यह है कि आजादी के बाद भी जब तब इस कानून का उपयोग रंगमंच के विरूद्ध किया जाता रहा है। मिस्टर जिन्न के मंचन को रोकना सीधे सीधे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है, लोकतंत्र में सभी को अपने विचार व्यक्त करने की आजादी हे। स्वर्गीय मधुलिमये ने लोक सभा में इस बिल का भारी विरोध किया था लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। १९५६ में उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश आनन्द नारायन मुल्ला अपने निर्णय में कहा था कि इस अधनियम की धाराएं भारतीय संविधान के विरूद्ध है। देश भर के रंग कर्मियों तथा संस्कृति कर्मियों में भारी आक्रोश है।

अत: केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि इस ड्रेमेटिक परफोरमेंन्सेज एक्ट १८७६ को अविलंब समाप्त करे।