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Title : Need to implement ‘one rank one pension’ policy to ex-soldiers.
श्री किशन सिंह सांगवान (सोनीपत) : सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। मैं एक बहुत पुरानी मांग वन रैंक, वन पेंशन, जो लाखों-लाख पूर्व सैनिकों से जुड़ी हुई है, की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। मेरे सामने मंत्री जी बैठे हुए हैं। इन्होंने ही इस हाउस में ऐलान किया था कि यह फैसला ले लिया गया है। इससे पहले सैशन में भी इन्होंने यह एश्योरेन्स दिया था कि इसके लिए कमेटी बन गई है। पिछले सैशन में इन्होंने डिक्लेयर किया था कि इसका फैसला हो गया है।
रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री विजय हान्डिक) : फैसला हो गया है।
श्री किशन सिंह सांगवान : लेकिन मैं बड़े अफसोस के साथ कह रहा हूं कि पार्लियामैन्ट में आपका एश्योरेन्स है, फिर भी आज तक यह इम्पलीमैन्ट नहीं हुआ है। लाखों-लाख पूर्व सैनिक इसके लिए इंतजार कर रहे हैं। बीस साल से इस हाउस में इसके लिए मांग उठ रही है। हर सैशन में मैं भी कह रहा हूं, लेकिन कहीं भी यह इम्पलीमैन्ट नहीं हुआ है। मुझे ऐसा लगता है कि डिफैन्स मनिस्ट्री में कोई न कोई ऐसा शक्तिशाली अधिकारी बैठा है, जो इस फैसले के लागू होने में बहुत बड़ी रुकावट बना हुआ है। इसी विषय पर संसद में डिफैन्स की स्टैन्िंडग कमेटी ने निर्णय लिया कि वन रैंक, वन पेंशन मिलना चाहिए। ऑनरेबल सुप्रीम कोर्ट ने १९९७ में सविल अपील नम्बर ५३४६ के द्वारा उनकी पेंशन के बारे में निर्णय दिया कि जब भी कोई पेंशन का हकदार होता है और उसमें कोई बढ़ोतरी होती है तो इन पर वह लागू होना चाहिए तथा लोगों को मिलना चाहिए। इसके बाद १९६८ में सविल अपील हुई, अपील नम्बर ३०४८ में यह निर्णय हुआ कि यदि कोई पेंशन का हकदार है और उसकी दरों में यदि कोई संशोधन होता है तो उसके ऊपर यह लागू होना चाहिए। डिफैन्स कमेटी ने भी यह कह दिया। लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद तथा संसद में मंत्री जी के एश्योरेन्स के बाद भी फील्ड में आज तक प्रैक्टिकली यह एप्लीकेबल नहीं हुआ है[R89] ।
मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि ‘एक पेंशन एक आदमी ’ का जो यह फैसला हुआ है, जैसा बोल रहे हैं, इसे तुरंत ०१-०१-१९९६ से लागू करें।
MR. CHAIRMAN : You can raise only one matter.
श्री किशन सिंह सांगवान : सर, यह दूसरा भी शहीदों पर ही है। देश के लिए जो लोग शहीद हो रहे हैं, चाहे वे कारगिल की लड़ाई में शहीद हुए हों या उसके बाद की लड़ाई में हो रहे हों या पैरा-मलिट्री फोर्सेज के हों, मेरा कहना यह है कि शहीदों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जो सहूलियतें कारगिल के शहीदों को मिली थीं, पैरा मलिट्री फोर्सेज के लोगों को भी वही सुविधाएं मिलनी चाहिए और लगातार दो-चार-पांच लोग आतंकवादी घटनाओं की वजह से मर रहे हैं, वे लोग भी देश के लिए शहीद हो रहे हैंं। शहीद तो शहीद हैं चाहे पैरा मलिट्री फोर्स का व्यक्ति हो या पुलिस का हो, ये सभी देश की रक्षा में मर रहे हैं, इसलिए सभी शहीदों को समान समझा जाए और समान सुविधाएं दी जाएं और उनके बच्चों को एक्स-ग्रेशिया के तहत नौकरी दी जाए। आज तक कभी किसी के बच्चे को एम्पलॉय नहीं किया गया। कारगिल की लड़ाई में भी ऐलान होता था कि उनके बच्चों को नौकरी देंगे लेकिन हमें विस्तार में बताइए कि कितने बच्चों को नौकरी मिलेगी ? सेन्ट्रल गवर्नमेंट की भी यही हालत है और मैं माननीय मंत्री जी से इस बारे में डिटेल चाहता हूं।
SHRI B.K. HANDIQUE: Chairman, Sir, I would like to give a clarification. So far as one-rank-one-pension is concerned, already a decision has been taken by the GoM and I had informed about the same in the House. I had said it with authority. After that, it was informed to the Services officers. Now, probably the matter is in the process. It involves a huge number of ex-Servicemen. I do not remember the details now because I have left that Ministry. It takes some time to process. The decision had been announced to them and they had celebrated and congratulated themselves also.
श्री किशन सिंह सांगवान : कितने साल हो गये हैं। वे बेचारे भगवान को प्यारे हो जाएंगे, क्या तब उनके लिए कुछ किया जाएगा ?
SHRI B.K. HANDIQUE: It involves a huge number of ex-Servicemen and, therefore, it is taking time.
18.13 hrs. (Shri Arjun Sethi in the Chair)