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The Minister Of Rural Development Laid The Statements Regarding The … on 31 August, 2007

Lok Sabha Debates
The Minister Of Rural Development Laid The Statements Regarding The … on 31 August, 2007


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Title: The Minister of Rural Development laid the statements regarding the status of implementation of the components of Bharat Nirman relating to the Ministry of Rural Development and status of implementation of National Rural Employment Guarantee Act, 2005 (NREGA).

ग्रामीण विकास मंत्री (डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह): महोदय, मैं ग्रामीण विकास मंत्रालय से संबंधित भारत निर्माण के घटकों के कार्यान्वयन की स्थिति के बारे में वक्तव्य सदन के पटल पर रखता हूँ।

          भारत निर्माण को सरकार द्वारा समयबद्ध, लक्षित कार्य योजना के रूप में स्वीकारा गया है । इसे 1,74,000 करोड़ रु. के कुल अनुमानित निवेश से चार वर्षों की अवधि में कार्यान्वित किया जाएगा । छः घटकों अर्थात् सिंचाई, ग्रामीण सड़कें, ग्रामीण आवास, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति, ग्रामीण विद्युतीकरण तथा दूरभाष संपर्क में से तीन घटकों अर्थात् ग्रामीण सड़कें, ग्रामीण आवास तथा ग्रामीण पेयजल आपूर्ति को 85,000 करोड़ रु. के अनुमानित निवेश से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है । मैं सदन को भारत निर्माण के इन तीनों घटकों के कार्यान्वयन की मौजूदा स्थिति के बारे में    बताना चाहता हूँ ।

ग्रामीण सड़कें

वास्तविक प्रगति

          भारत निर्माण के ग्रामीण सड़क घटक के अंतर्गत मैदानी क्षेत्रों में 1000 या इससे अधिक की आबादी वाली तथा पहाड़ी राज्यों, जनजातीय क्षेत्रों और मरूभूमि क्षेत्रों में 500 या इससे अधिक की आबादी वाली सभी बसावटों को 2009 तक बारहमासी सड़कों से जोड़ने का प्रस्ताव है । 2005-09 की अवधि के दौरान 66,802 बसावटों को जोड़ने वाली 146185 कि.मी. ग्रामीण सड़कें बनाने तथा 194130 कि.मी. मौजूदा ग्रामीण सड़कों को अपग्रेड करने का लक्ष्य रखा गया है । 2005-07 की अवधि के दौरान 13831 बसावटों को सड़क सम्पर्क मुहैया कराने वाली 39477 कि.मी. की ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है । इसके अलावा, 50056 कि.मी. मौजूदा ग्रामीण सड़कों को अपग्रेड किया गया है ।

          प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत 2.38 लाख कि.मी. ग्रामीण सड़कों के निर्माण कार्य के लिए 67713 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं । जुलाई 2007 के अन्त तक 1.34 लाख

 

 

  * Laid on the Table and also placed in Library.  See No. LT 6913/2007 
कि.मी. ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है तथा 1.04 लाख कि.मी. लम्बाई वाली ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य प्रगति पर है ।

वित्तीय प्रगति

          भारत निर्माण के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए योजना के अंतर्गत पर्याप्त निधियों का प्रावधान करने तथा राज्यों की उपयोग क्षमता को बढ़ाने के हरसंभव प्रयास किए गए हैं । हालांकि, 2000-05 की अवधि के दौरान पीएमजीएसवाई के अंतर्गत औसत वार्षिक खर्च लगभग 1900 करोड़ रु. था जो बढ़कर 2005-06 के दौरान 4091.66 करोड़ रु. तथा 2006-07 के दौरान 7304.27 करोड़ रु. हो गया है । चालू वर्ष के दौरान आवंटन को और बढ़ाकर 11000 करोड़ रु. कर दिया गया है । योजना के संसाधनों को बढ़ाने के लिए विश्व बैंक तथा एशियाई विकास बैंक से सहायता ली गई है । विश्व बैंक तथा एशियाई विकास बैंक की सहायता से लगभग 9000 करोड़ रु. उपलब्ध हो जाएंगे । पर्याप्त वित्त पोषण सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष के अंतर्गत एक विशेष विन्डो बनाई गई है जिससे कि भारत निर्माण की ग्रामीण सड़क परियोजनाओं का वित्त पोषण किया जा सके । नाबार्ड की विशेष विन्डो से लगभग 6500 करोड़ रु. जुटाए जाएंगे ।

परियोजनाओं का कार्यान्वयन

          “ग्रामीण सड़कें ” राज्य का विषय होने के कारण कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजनाएं निगरानी, वित्तीय प्रबंधन तथा समन्वय के लिए राज्य स्तर पर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों द्वारा उनकी एजेंसियों अर्थात् एसआरआरडीए (राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी) तथा जिला स्तर पर कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए कार्यक्रम कार्यान्वयन एककों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती हैं । बिहार तथा त्रिपुरा में कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजना के कार्यान्वयन में केन्द्रीय एजेंसियां भी शामिल की गई हैं ।

पारदर्शिता तथा गुणवत्ता नियंत्रण

          घोषित समय-सीमा अर्थात् 2009 तक भारत निर्माण (ग्रामीण सड़क घटक) के अंतर्गत लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं । राज्य सरकारों को योजना के अंतर्गत परियोजना के कार्यान्वयन के कार्य में तेजी लाने के लिए अपनी संस्थागत तथा संविदात्मक क्षमता को बढ़ाने की सलाह दी गई है । मंत्रालय ने कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजना के कार्यान्वयन में गुणवत्ता तथा पारदर्शिता लाने के लिए भी पर्याप्त उपाय किए हैं । पीएमजीएसवाई कार्यक्रम के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, त्रि-स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र को मजबूत किया गया है।

          पीएमजीएसवाई के अंतर्गत खुली निविदा तथा कार्य के आवंटन को आसान बनाने के लिए मानक बोली दस्तावेज बनाए गए हैं । राज्यों में संविदात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए मानक बोली दस्तावेज में आवश्यक संशोधन किए गए हैं । पीएमजीएसवाई के अंतर्गत समय पर निगरानी करने के लिए वेब आधारित ऑन-लाइन निगरानी प्रणाली (www.omms.nic.in तथा www.pmgsyonline.nic.in)  बनाई गई है । निगरानी प्रणाली में सड़क संपर्क की स्थिति, वास्तविक तथा वित्तीय, प्रगति, लेखा तथा गुणवत्ता निगरानी इत्यादि शामिल है । समग्र डाटा बेस को नागरिक क्षेत्र में डाला गया है ।

          लाभान्वित बसावटों में प्रमुख स्थानों पर स्थानीय भाषा में नागरिक सूचना बोर्ड लगाये जाते हैं जिसमें खडंजे की प्रत्येक परत में प्रयुक्त सामग्री की मात्रा का उल्लेख होता है । कार्यक्रम के कार्यान्वयन में पारदर्शिता तथा जवाबदेही को कारगर बनाने के लिए सभी राज्य सरकारों को हाल ही में यह सलाह दी गई है कि वे माननीय संसद सदस्य, माननीय विधायकों तथा पंचायती राज संस्थाओं के कर्मियों से पीएमजीएसवाई के अंतर्गत चल रहे और पूरे हो चुके कार्यों का संयुक्त निरीक्षण कराएं । ग्रामीण आवास

          भारत निर्माण का ग्रामीण आवास घटक इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है तथा संस्थाधनों के आवंटन को केन्द्र और राज्यों के बीच 75ः25 के अनुपात में वहन किया जाता है । संसाधनों के राज्यस्तरीय आवंटन के लिए आवास की कमी को 75औ तथा योजना आयोग द्वारा निर्धारित गरीबी अनुपात को 25औ की वेटेज दी जाती है । जिला स्तरीय आवंटन के लिए आवास की कमी को फिर से 75औ तथा संबंधित जिलों की अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की आबादी को 25औ की वेटेज दी जाती है । मैदानी क्षेत्रों में प्रत्येक आवासीय इकाई के लिए 25,000 रु. तथा पहाड़ी क्षेत्रों में 27,500 रु. की वित्तीय सहायता दी जाती है । भारत निर्माण के अंतर्गत चार वर्षों की अवधि अर्थात 2005-06 से 2008-09 तक 60 लाख मकान बनाए जाने का प्रस्ताव है ।

          यह जानकारी दी गई है कि वर्ष 2005-2007 के प्रथम 2 वर्षों के दौरान 7907.42 करोड़ रुपए के कुल उपयोग से 29.74 लाख मकानों के लक्ष्य की तुलना में 30.50 लाख मकान बनाए गए हैं

          चालू वर्ष 2007-08 के दौरान केन्द्रीय आबंटन को विगत वर्ष के 2907 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 4032.70 करोड़ रुपए कर दिया गया है तथा इस बढ़े हुए आबंटन से 21.27 लाख मकान बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । राज्यों/संघ  राज्य क्षेत्रों को केन्द्रीय अंश के रूप में 1885.80 करोड़ रुपए की राशि पहली किस्त के रूप में पहले ही रिलीज कर दी गई है और राज्य सरकारों से प्राप्त रिपोर्ट से यह पता चलता है कि 2.44 लाख मकान बनाए जा चुके हैं ।

ग्रामीण पेयजल आपूर्ति

          भारत निर्माण अवधि (2005-06 से 2008-09) के दौरान 55067 कवर न की गई बसावटों को कवर करने, स्रोत के खराब हो जाने के कारण पूर्णतः कवर की श्रेणी से आंशिक रूप से कवर की गई की श्रेणी में लौट आई 2.8 लाख बसावटों (इन आंकड़ों का अब 3.31 लाख बसावटों के रूप में पुनर्मूल्यांकन किया गया है) की समस्या को दूर करने और जल गुणवत्ता समस्याओं वाली 216968 बसावटों की समस्या को दूर करने का लक्ष्य है ।

          भारत निर्माण के प्रथम 2 वर्षों के दौरान 8658 करोड़ रुपए की धनराशि आबंटन के केन्द्रीय अंश के रूप में रिलीज की गई है । ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के लिए 6500 करोड़ रुपए के आबंटन की तुलना में वर्ष 2007-08 के दौरान 2627 करोड़ रुपए की राशि रिलीज की गई है । वर्ष 2005-07 के दौरान वास्तविक उपलब्धियों के संबंध में 25561 कवर न की गई बसावटों, 168752 निचली श्रेणी में लौट आई बसावटों और 26485 गुणवत्ता प्रभावित बसावटों को कवर किए जाने की जानकारी दी गई है ।

          वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 21.8औ ग्रामीण बसावटों में स्वच्छता सुविधाएं थीं जो कि अब बढ़कर 46औ हो गई हैं । सरकार ने वर्ष 2012 तक संपूर्ण स्वच्छता कवरेज के लक्ष्य को हासिल करने की योजना बनाई है । विगत 2 वर्षों के दौरान संपूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत इस लक्ष्य की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है । वर्ष 2005-06 और 2006-07 के दौरान 2.20 लाख विद्यालय शौचालय बनाने के अलावा अलग-अलग परिवारों के लिए 195.39 लाख से अधिक शौचालय बनाए गए हैं । चालू वर्ष के दौरान अलग-अलग परिवारों के लिए 23.83 लाख से अधिक शौचालय पहले ही बनाए जा चुके हैं ।

 

भावी कार्य

          राज्यों द्वारा 1.4.2007 तक दी गई जानकारी के अनुसार कवर न की गई शेष बसावटें 29534 हैं । वर्ष 2007-08 के लिए कवर न की गई बसावटों का लक्ष्य 27664 बसावटें और वर्ष 2008-09 के लिए 1870 बसावटें हैं । वर्ष 2003 के सर्वेक्षण के आधार पर 1.4.2007 की स्थिति के अनुसार निचली श्रेणी मे लौट आई बसावटों का बैकलॉग 175154 बसावटें हैं और वर्ष 2007-08 के दौरान 90 हजार ऐसी बसावटों को कवर करने का लक्ष्य है और शेष 85154 बसावटों को वर्ष 2008-09 के दौरान कवर किया जाएगा । इसी तरह,  राज्य से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 1.4.2007 की स्थिति के अनुसार गुणवत्ता प्रभावित बसावटों का बैकलॉग 166693 बसावटें हैं और वर्ष 2007-08 के दौरान 100000 बसावटों को कवर किए जाने का प्रस्ताव है तथा शेष 66693 बसावटों को वर्ष 2008-09 के दौरान कवर किया जाएगा ।

          यह निर्णय लिया गया है कि स्थायित्व संबंधी घटक एआरडब्ल्यूएसपी के अंर्तगत स्वीकृत सभी परियोजनाओं का अभिन्न हिस्सा होगा । राज्यों को यह भी सलाह दी जा रही है कि वे पेयजल के लिए वर्षा जल संग्रहण और जल संरक्षण तथा किफायती प्रौद्योगिकी विकल्पों का उपयोग करें । बसावटों को निचली श्रेणी में लौटने से बचाने के लिए पेयजल स्रोतों और प्रणालियों के स्थायित्व को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है ।

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 12.02 ¼ hrs.

ग्रामीण विकास मंत्री (डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह) ः महोदय, मैं राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (एन आर ई जी ए) के कार्यान्वयन की स्थिति के बारे में वक्तव्य सदन के पटल पर रखता हूँ ।

          राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 का उद्देश्य प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ऐसे प्रत्येक परिवार को जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम वाले कार्य करना चाहते हैं, कम से कम 100 दिनों का गारंटीयुक्त मजदूरी रोजगार मुहैया कराकर देश के निर्धारित जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका संबंधी सुरक्षा को बढ़ाना है ।

          राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को इसके कार्यान्वयन के पहले चरण में 27 राज्यों में 200 निर्धारित जिलों में 2 फरवरी, 2006 को अधिसूचित किया गया था । अधिनियम की धारा 1 (3) में दिया गया है कि यह अधिनियम इसके अधिनियमन से पांच वर्ष की अवधि के अंदर पूरे देश में लागू किया जाएगा । तदनुसार, दूसरे चरण में 130 और जिलों को शामिल किया गया है और इस प्रकार जिलों की कुल संख्या 330 हो गई है । इन 130 अतिरिक्त जिलों को दो चरणों में अधिसूचित किया गया है । 26 मार्च, 2007 को इन 130 अतिरिक्त जिलों में से 113 जिले 1 अप्रैल से अधिसूचित किए गए थे तथा उत्तर प्रदेश के शेष 17 जिले बाद में 15 मई, 2007 को अधिसूचित किए गए थे क्योंकि राज्य विधान सभा चुनाव को देखते हुए 113 जिलों की अधिसूचना के समय राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू थी ।

 

2.       वित्तीय प्रगति

(क)     2006-07

          जिले में रोजगार मांग के आधार पर एनआरईजीए के लिए निधियां रिलीज की जाती हैं । केन्द्र सरकार प्रारंभिक अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए बजट प्रावधान करती है । वर्ष 2006-07 के लिए एनआरईजीए के लिए 11,300 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया गया था । वर्ष के दौरान एनआरईजीए के कार्यान्वयन के लिए चरण-। के 200 जिलों के पास 12073.56 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध थी । इस

 

  * Laid on the Table and also placed in Library.  See No. LT 6914/2007 
राशि में केन्द्रीय रिलीज के रूप में 8263.66 करोड़ रुपए, राज्य अंश के रूप में 802.92 करोड़ रुपए और 1.4.2006 की स्थिति के अनुसार 2052.92 करोड़ रुपए का अथशेष शामिल था । इसके अलावा चरण-।। के 113 एनआरईजीए जिलों को प्रारंभिक व्यवस्थाओं तथा खर्च के लिए 377.20 करोड़ रुपए की राशि रिलीज की गई थी । वर्ष 2006-07 के दौरान एनआरईजीए के अंतर्गत 313 जिलों को 8640.86 करोड़ रुपए का कुल केन्द्रीय अंश रिलीज किया गया था ।

          वर्ष 2006-07 के दौरान राज्यों के पास कुल 12073.56 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध थी जिसमें से कार्यक्रम के अंतर्गत 8823.36 करोड़ रुपए का उपयोग किया गया था । 2006-07 में प्रति जिला निधियों का औसत उपयोग 44.12 करोड़ रुपए था जबकि एसजीआरवाई के अंतर्गत 2005-06 के लिए प्रति जिला निधियों का औसत उपयोग 12 करोड़ रुपए था ।

(ख)     2007-08 (जुलाई, 2007 तक)

          केन्द्र सरकार ने अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए चालू वित्तीय वर्ष के लिए 12000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है जिसमें से 27 अगस्त, 07 तक 6432.13 करोड़ रुपए की राशि रिलीज कर दी गई है । वर्ष के दौरान एनआरईजीए के कार्यान्वयन के लिए 330 जिलों के पास 10065.37 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध थी । इस राशि में केन्द्रीय रिलीज के रूप में 5775.79 करोड़ रुपए (जुलाई, 07 तक जिलों को प्राप्त), राज्य अंश के रूप में 556.79 करोड़ रुपए और 1.4.2007 की स्थिति के अनुसार 3470.19 करोड़ रुपए का अथशेष शामिल था ।

          चालू वर्ष (जुलाई तक) के दौरान राज्यों के पास कुल 10065.37 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध थी जिसमें से कार्यक्रम के अंतर्गत 3487.96 करोड़ रुपए का उपयोग किया गया था ।

 

3.       कार्यक्रम के परिणाम ः

(क)     2006-07

          (i)      चूंकि कार्यक्रम मांग आधारित है, इसलिए 2.12 करोड़ परिवारों ने रोजगार की मांग की थी जिनमें से 2.10 करोड़ परिवारों को वर्ष 2006-07 के दौरान रोजगार उपलब्ध कराए गए थे और कार्यक्रम के तहत कुल 90.51 करोड़ रोजगार श्रम दिवस उपलब्ध कराए गए थे । एनआरईजीए के अंतर्गत प्रति जिला औसतन 45.2 लाख रोजगार श्रमदिवस सृजित किए गए थे जबकि एसजीआरवाई के अंतर्गत 2005-06 में सृजित औसत श्रम दिवस प्रति जिला 14.02 लाख था ।

          (ii)      कुल 90.51 करोड़ श्रम दिवस में अनुसूचित जातियों का अंश 22.95 करोड़ श्रम दिवस (25.36औ) और अनुसूचित जनजातियों का 32.99 (36.45औ) था जो कुल मिलाकर अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के लिए 55.94 करोड़ श्रम दिवस बनता है जो कि लगभग 62 प्रतिशत है ।

          (iii)     एनआरईजी अधिनियम के अनुसार महिला श्रम दिवसों का अंश एक तिहाई होना चाहिए और यह 36.79 करोड़ श्रम दिवस था जो एसजीआरवाई के अंतर्गत 2006-07 के दौरान 24 प्रतिशत की तुलना में लगभग 41 प्रतिशत है ।

 

          (iv)     5842.37 करोड़ रुपए की धनराशि का भुगतान अकुशल मजदूरी के रूप में किया गया था जो कि उपयोग में लायी गई कुल 8823.36 करोड़ रुपए का 62.21औ था ।


          (v)       कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 8.35 लाख कार्य शुरू किए गए थे जिनमें से 3.87 लाख कार्य पूरे कर लिए गए थे । श्रेणी-वार ब्यौरा निम्नानुसार है ः  

                        

गतिविधियां   

संख्या   लाख में (औ)    जल   संरक्षण और   जल   एकत्रीकरण   

4.52   (54औ)    अनुसूचित   जातियों/अनुसूचित   जनजातियों   की भूमि में   उपलब्ध कराई   गई सिंचाई   सुविधाएं   

0.81   (9औ)    भूमि   विकास   

0.89   (11औ)    ग्रामीण   संपर्क   

1.80   (22औ)    अन्य   

0.33   (4औ)  

   

(ख)      2007-08 (जुलाई, 07 तक)  

(i)      वर्ष 2007-08 (जुलाई, 07 तक) के दौरान अब तक 1.6 करोड़ परिवारों ने रोजगार की मांग की है और 1.56 करोड़ परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराए गए हैं । कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 40.73 करोड़ रोजगार श्रमदिवस सृजित किए गए हैं ।

(ii)      कुल 40.73 करोड़ श्रमदिवस में अनुसूचित जातियों का अंश 10.3 करोड़ श्रमदिवस (25.29औ) है और अनुसूचित जन जातियों का अंश 13.87 करोड़ श्रमदिवस (34.05औ) है जो कुल मिलाकर 24.17 करोड़ श्रमदिवस बनता है जो कि लगभग 59 प्रतिशत है ।

(iii)     महिलाओं का अंश 19.44 करोड़ श्रमदिवस है जो कि एसजीआरवाई के अंतर्गत 2006-07 के दौरान 24 प्रतिशत की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 48 प्रतिशत से अधिक है ।

(iv)     उपयोग में लाई गई कुल राशि में दी गई अकुशल मजदूरी का अंश 70.41 प्रतिशत था ।


(v)       कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 7.82 लाख कार्य शुरू किए गए हैं जिनमें से 1.48 लाख कार्य पूरे कर लिए गए हैं । श्रेणीवार ब्यौरा निम्नानुसार है ः  

      

गतिविधियां   

संख्या   लाख में (औ)    जल   संरक्षण और   जल   एकत्रीकरण   

4.39   (56औ)    अनुसूचित   जातियों/अनुसूचित   जनजातियों   की भूमि में   उपलब्ध कराई   गई सिंचाई   सुविधाएं   

0.92   (12औ)    भूमि   विकास   

1.00   (13औ)    ग्रामीण   संपर्क   

1.09   (14औ)    अन्य   

0.42   (5औ)  

   

4.              मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित उपायों का उपयोग करके कार्यक्रम कार्यान्वयन प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाना है ।  

   

          (क)      कड़ी सतर्कता और निगरानी  

          (i)      राज्यों को यह निदेश दिया गया है कि एनआरईजीए के प्रत्येक कार्य की सामाजिक लेखा-परीक्षा कार्य तीन महीने के भीतर पूरे किए जाने चाहिए और मंत्रालय को सामाजिक लेखा-परीक्षा के परिणामों से अवगत कराया जाना चाहिए ।

          (ii)      मस्टर रोलों का सत्यापन अभियान के रूप में किया जाना चाहिए और मंत्रालय को समेकित रिपोर्ट भेजी जानी चाहिए । अब तक आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, झारखण्ड, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान, पंजाब, कर्नाटक तथा गुजरात से जानकारी प्राप्त हो चुकी है । मंत्रालय द्वारा इसकी जांच की जा रही है । कुल 25.03 लाख मस्टर रोलों का सत्यापन कर लिया गया है ।

          (iii)     क्रमशः ब्लॉक स्तर पर 100औ जिला स्तर पर 10औ और राज्य स्तर पर 2औ कार्यों का सत्यापन किया जाना चाहिए ।

 

 

          (ख)     जन भागीदारी

 

          (i)      ग्राम स्तरीय निगरानी-समितियां बनाई जानी चाहिए और उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ।

          (ii)      नियमित आधार पर ग्राम सभा आयोजित की जानी चाहिए तथा कार्यों के चयन के संबंध में निर्णय लेने और एनआरईजीए के कार्यान्वयन में उनकी सक्रिय भूमिका होनी चाहिए ।

         

          (ग)     पारदर्शिता

                   राज्यों को यह निदेश दिए गए हैं कि एनआरईजीए के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी ग्राम पंचायत, कार्यक्रम अधिकारी और जिला कार्यक्रम समन्वयक के कार्यालयों में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जानी चाहिए । मजदूरी का भुगतान करते समय मस्टर रोल को सबके सामने पढ़ा जाना चाहिए तथा लोगों द्वारा मांग किए जाने पर सार्वजनिक संवीक्षा के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए ।

          (घ)     जागरूकता ः अधिनियम के बारे में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने के लिए ग्राम स्तर पर सक्रिय रूप से अभियान चलाए जाएंगे ।

 

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12.03 hrs,