Combined Discussion On Bihar Budget (2005-2006), Demands For Grants … on 19 March, 2005

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Lok Sabha Debates
Combined Discussion On Bihar Budget (2005-2006), Demands For Grants … on 19 March, 2005


>   Title: Combined Discussion on Bihar Budget (2005-2006), Demands for Grants on Accounts (2005-2006) and Demands for Supplementary Grants (2005). (The Motion was adopted).

 

16.10 hrs.   BIHAR BUDGET, 2005-06  – GENERAL DISCUSSION

DEMANDS FOR GRANTS ON ACCOUNT (BIHAR)- 2005-06 DEMANDS FOR SUPPLEMENTARY GRANTS (BIHAR)-2004-05

 

MR. DEPUTY-SPEAKER: Now, we will take up item numbers five to seven together.

MR. DEPUTY-SPEAKER: Motions Moved:

“That the respective sums not exceeding the amounts on Revenue Account and Capital Account shown in the second column of the Order Paper, be granted to the President, out of the Consolidated Fund of the State of Bihar, on account, for or towards defraying the charges during the year ending on the 31st day of March, 2006, in respect of heads of demands entered in the first column thereof against Demand Nos. 1 to 4, 6 to 12, 15 to 27, 29 to 33 and 35 to 52.”

 

“That the respective supplementary sums not exceeding the amounts on Revenue Account and Capital Account shown in the second second column of the Order Paper be granted to the President out of the Consolidated Fund of the State of Bihar to defray the charges that will come in course of payment during the year ending the 31st day of March, 2005, in respect of heads of demands entered in the first column thereof against Demand Nos. 1 to 4, 9, 10, 12, 18, 20 to 24, 26, 27, 30, 33, 36 to 46 and 48 to 52. ”

 

MR. DEPUTY-SPEAKER: Shri Nitish Kumar.

… (Interruptions)

SHRI NITISH KUMAR (NALANDA): I will conclude in ten minutes.  … (Interruptions) I can take less time, if the hon. Minister gives some assurance. … (Interruptions) उपाध्यक्ष महोदय, बिहार में चूंकि राष्ट्रपति शासन लागू है, इसलिए विधान सभा की भूमिका लोक सभा को निभानी पड़ रही है। बिहार की आर्थिक स्थिति चिंतनीय है इसलिए उसमें सुधार लाना आवश्यक है। बिहार का जब पुनर्गठन हुआ, तो झारखंड का उदय हुआ। जब बिहार पुनर्गठन विधेयक पारित हुआ, उस समय जो कानून बना, उसमें इस बात का प्रावधान किया गया था कि बिहार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसकी क्षतिपूर्ति के लिए विशेष प्रबन्ध किये जायेंगे। उस समय तीन राज्यों का पुनर्गठन हुआ था, तीन राज्यों — उत्तरांचल, छत्तीसगढ़ और झारखंड का उदय हुआ था। बाकी दो पुनर्गठन विधेयकों में यह प्रावधान नहीं था, लेकिन बिहार पुनर्गठन विधेयक में इस बात का प्रावधान किया गया था कि बिहार की आर्थिक स्थिति को मद्देनजर रखते हुए, उसे सहायता देने के लिए, विशेष तौर पर व्यवस्था की जायेगी और इसके लिए योजना आयोग के उपाध्यक्ष की देख-रेख में एक सेल बनेगा, जो इस बात का निर्णय लेगा कि बिहार को और कितनी सहायता देनी है। उसी को ध्यान में रखते हुए बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग की गयी थी। बिहार के जितने सांसद थे, उन सबने मिलकर प्रधान मंत्री जी को २८, नवम्बर, २००० को एक ज्ञापन दिया था। Memorandum submitted to the hon. Prime Minister by Members of Parliament from Bihar for an economic package for Bihar after its bifurcation.    यह ज्ञापन दिया गया था। कानून में भी व्यवस्था थी। हम लोगों ने इसका ज्ञापन दिया था। इसे बिहार के सभी दल के सांसदों ने मिलकर तैयार किया था। इसके बाद उस समय की सरकार ने कुछ निर्णय लिये। उन निर्णयों के आधार पर बिहार के लिए विशेष सहायता एनडीए सरकार ने देनी प्रारम्भ की। राष्ट्रीय सम विकास योजना के अन्तर्गत यह तय किया गया कि एक हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से दसवीं योजना में इस प्रकार सहायता प्रदान की जायेगी, यानी कुल मिलाकर चार साल के लिए चार हजार करोड़ रुपये दिये जायेंगे। जब यह प्रश्न पिछली लोक सभा में उठा था तो सदस्यों की मांग पर प्रधान मंत्री ने १७ दिसम्बर २००३ को उसका उत्तर दिया था।उन्होंने बताया था कि इस प्रकार मदद दी जायेगी और इसके लिए एक विस्तृत प्रतिवेदन दिया, जिसमें प्रधान मंत्री जी ने कहा था कि राष्ट्रीय सम विकास योजना के अन्तर्गत १०वीं योजना के दौरान २५३१.३५ करोड़ रुपये लागत की अनेक परियोजनाओं का कार्यान्वयन हेतु चयन किया गया। इसमें १० लाख सतही टयूबवैल्स कार्यक्रम, बिहार में सबट्रांसमीशन सिस्टम का सुद्ृढ़ीकरण, बिहार में राज्य राजमार्गों का विकास, पूर्वी गंडक नहर का पुनरुद्धार, बागवानी का विकास, एकीकृत वन प्रबंधन, एकीकृत जलाशय विकास, आदि इस प्रकार कुल सात अलग किस्म की स्कीमें बनीं और २५३१.३५ करोड़ रुपये का राशि स्वीकृत हुइर्[r66] ।

यह उस समय की सरकार का निर्णय था जिसकी घोषणा की गई और यह एलान हुआ था कि ४ साल में ४००० करोड़ रुपया मिलेगा। इसके बाद वह सरकार चली गई और नयी यूपीए की सरकार आ गई। यूपीए की सरकार ने अपना नेशनल कॉमन मनिमम प्रोग्राम तय किया जिसका बार-बार वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण मेंउल्लेख किया। उसमें जिक्र आया कि बिहार को हम पैकेज देंगे। राष्ट्रपति जी का जो अभिभाषण हुआ, उसमें इस बात का जिक्र हुआ कि बिहार को हम पैकेज देंगे। वित्त मंत्री जी का सन् २००४-०५ के लिए जो भाषण हुआ, उसमें इस बात का जिक्र हुआ कि हम बिहार के लिए पैकेज दे रहे हैं। पिछली बार जब पैकेज का एलान किया तो उसके अगले ही दिन हम लोगों ने सवाल पूछा था कि यह एन.डी.ए. की सरकार ने जो घोषणा की है, उसी को आपने दोहराया है या अतरिक्त पैकेज दिया है। वित्त मंत्री जी ने उसका उत्तर नहीं दिया। दे भी नहीं सकते थे क्योंकि वही चीजें थीं जिनका निर्णय लिया जा चुका था और काम भी प्रारम्भ हो चुका था। इसकी वह सिर्फ घोषणा कर रहे थे और अपनी पीठ थपथपा रहे थे कि सरकार बदली और बिहार को पैकेज मिल गया जबकि मिला कुछ नहीं है। जो पहले से मिला था, वही जारी है, अतरिक्त एक पैसा नहीं मिला है। लेकिन फिर भी घोषणाएं होती रही हैं। इस बार के भी बजट में, अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री जी ने कहा कि :-

“The NCMP refers to special economic packages for Bihar, Jammu & Kashmir and the North Eastern Region. Till now, Bihar received special assistance through the Rashtriya Shram Vikas Yojana. The transition arrangements under RSVY will continue until 2006-07. Meanwhile, the backward districts of Bihar will begin to receive assistance from the Backward Regions Grant Fund. I may also point out that, recognising the needs of Bihar, the Twelfth Finance Commission has made substantial grants amounting to Rs. 7,975 crore for the period 2005-10. Bihar has also been identified as one of the few States requiring special grants for the health and education sectors.”

यह उन्होंने कहा। पिछली बार भी इन्होंने घोषणा की थी। लेकिन इन्होंने इम्पलीमेंटेशन ऑफ बजट एनाउंसमेंट २००४-०५ प्रस्तुत किया है, उसमें उस पुस्तिका के १८ पेज पर इन्होंने कहा है :-

“The Special Plan had been formulated for Bihar for implementation under Rashtriya Shram Vikas Yojana with 100 per cent Central assistance to bring about improvement in sectors like power, road connectivity, irrigation, horticulture, forestry and watershed development. Central assistance at the rate of Rs. 1,000 crore per year will be made available during the Tenth Five-Year Plan subject to actual utilisation. Wherever feasible, Central agencies will be involved in the timely implementation of projects. Seven projects worth Rs. 2,531.35 crore have been identified for implementation during the Tenth Plan. An amount of Rs. 621.56 crore under Rashtriya Shram Vikas Yojana had been released towards project cost and preparation of detailed project report.”

हम लोगों ने पिछली बार कहा था। एक पैसा नया नहीं है। जो श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने किया, उसी का इन्होंने दोबारा एलान किया और यही श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, तत्कालीन प्रधान मंत्री जी का संसद में दिया हुआ वक्तव्य है। ठीक उसी का इन्होंने अपने इम्पलीमेंटेशन ऑफ बजट एनाउंसमेंट २००४-०५ में रिपीटीशन पेज १८ पर किया है। कोई नयी बात नहीं है। एक नया पैसा इन्होंने नहीं दिया है। इन्होंने चर्चा कर दी है, निर्णय ले लिया है कि राष्ट्रीय सम विकास योजना को अब बंद करें। इन्होंने यहां यह कहा तो है कि ट्रांज़ीशन अरेंजमेंट किया जा रहा है। क्या ट्रांज़ीशन अरेंजमेंट होगा ? राष्ट्रीय सम विकास योजना में जो स्थिति २००३ में थी, वही स्थिति आज २००५ में है। २५३१ करोड़ रुपये के अलावा वादे के मुताबिक बाकी भी १५०० करोड़ रुपया बचा हुआ है। उसके लिए क्यों नहीं योजना बनाई गई है और उसे स्वीकृत क्यों नहीं किया गया है ? आपने नेशनल कॉमन मनिमम प्रोग्राम में एलान कर दिया और राष्ट्रपति जी के मुंह से कहलवा दिया और लगातार दो बार अपने बजट भाषण में इसका उल्लेख आपने कर दिया लेकिन जो योजनाएं २००३ में स्वीकृत की गईं, उसके अलावा एक नयी योजना आपने स्वीकृत नहीं की। उसकी कुछ राशि रिलीज हुई है जो पहले से ही रिलीज हुई है। ६५१ करोड़ रुपये के करीब वह राशि रिलीज हुई है। उसके बाद राष्ट्रीय सम विकास योजना खत्म होने जा रही है। आपने कहा कि ट्रांज़ीशन अरेंजमेंट करेंगे। क्या ट्रांज़ीशन अरेंजमेंट आप करने जा रहे हैं ? फिर आपने अपने बजट भाषण में कह दिया कि बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड से बिहार को मदद मिलेगी[R67] ।

क्या यह बिहार के लिए अलग से मदद है? बैकवर्ड रीजन ग्राण्ट फण्ड पूरे देश के लिए है। पूरे देश भर के सेलेक्टेड जिलों में बिहार के भी कुछ जिले शामिल हैं। इसमें बिहार को अलग से क्या मिला है? यह एक देशव्यापी योजना है, फिर कहां से बिहार का पैकेज हो गया?  इसलिए बैकवर्ड रीजन फण्ड तो जिलों के लिए है। राष्ट्रीय समविकास योजना के अन्तर्गत बिहार के प्लान बनाने की बात आपने की।आपके एक्सपेंडिचर बजट को हमने देखा है। इसके पेज सं० ४५ पर ३,२२५ करोड़ रूपए के बजट का जिक्र किया गया था, जिसे रिवाइज्ड इस्टीमेट में घटाकर १९६९ करोड़ रूपए कर दिया गया। यह सिर्फ आंखों में धूल झोंकने वाली बात है। इसमें बिहार को कुछ भी नहीं मिला है।

आपने १२वें वित्त आयोग की बात कही है। उसे गठित हुए काफी समय हो गया है।यह संविधान की एक व्यवस्था है, जो राज्यों के बीच सेन्ट्रल टैक्सेज का वितरण करने के लिए गठित किया जाता है। इसकी सिफारिशों में अन्य राज्यों की तरह, बिहार को भी केंद्रीय करों का हिस्सा दिया गया है। १२वें वित्त आयोग के सामने बिहार की सभी पार्टियों की ओर से जो मेमोरैण्डम दिया गया था, उसे आप देख लीजिए। यह बिहार विधान सभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिस पर सांसदों, विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे। १२वें वित्त आयोग ने पांच साल में ७,९०० करोड़ रूपए, अर्थात १,५९५ करोड़ रूपए प्रतिवर्ष के हिसाब से बिहार को दिए जाने की संस्तुति की थी। यह संवैधानिक व्यवस्था है कि वित्त आयोग जो संस्तुति करता है, उसे कैबिनेट को एप्रूव करना होता है और सरकार को स्वीकार करना पड़ता है। मैं यह जानना चाहता हूँ कि इसमें आपका क्या योगदान है?

महोदय, पिछले दो साल से सुनने में आ रहा है कि बिहार को पैकेज देंगे और यह प्रचार किया गया कि एनडीए सरकार ने नहीं दिया।ठीक है, हम लोगों ने जो दिया था, उसके अतरिक्त एक पैसे का भी इंतजाम आप करवाइए। आप क्या ट्रांजिशनल अरेंजमेंट करने जा रहे हैं? आप राष्ट्रीय सम-विकास योजना बंद करने जा रहे हैं, और उसी के अन्तर्गत बिहार के लिए कुछ मेजर आइडेण्टीफाइड स्कीम्स थीं,  २,५०० करोड़ रूपए से ज्यादा की योजनाएं स्वीकृत हुई हैं, जबकि धन रिलीज हुआ है मात्र ६५१ करोड़ रूपए। हमारे शेष १५०० करोड़ रूपए पहले से ही पड़े हुए हैं। वे १,५०० करोड़ रूपए कहां गए? आप बैठे हुए हैं, कोई नयी योजना स्वीकार नहीं कर रहे हैं। वहाँ इतनी बुरी हालत है कि सड़कों की हालत खराब है, स्कूल नहीं हैं, पीने का पानी नहीं है।

महोदय, मैं एक उदाहरण देकर इस बात को स्पष्ट करना चाहूंगा। हाल ही में कोलकाता की कई संस्थाओं – स्कूल ऑफ इनवायरनमेंट स्टडीज, जादवपुर युनिवर्सिटी, कलकत्ता, इंस्टीटयुट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट एजुकेशन ऑफ कलकत्ता, डिपार्टमेंट ऑफ न्युरोलॉजी, मैडिकल कॉलेज, कलकत्ता – के विशेषज्ञों ने बिहार के भोजपुर जिले के सेमरिया ओझा पट्टी गांव में जाकर जल रुाोतों के नमूनों और लोगों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि वहां पानी पीने के योग्य नहीं है। वहाँ पाए जाने वाला ८१.६ प्रतिशत जल पीने योग्य नहीं है, क्योंकि उसमें आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा है। वही पानी पीने के योग्य होता है जिसमें आर्सेनिक की मात्रा १० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से कम हो, लेकिन वहाँ से जो सैम्पल इकट्ठा किए गए, उनमें से १० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक आर्सेनिक वाले ८.४ प्रतिशत सैम्पल, १० से ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक वाले सैम्पल, २४.७ प्रतिशत और ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक वाले सैम्पल, ५६.८ प्रतिशत और ३०० माइक्रोग्राम प्रति लीटर आर्सेनिक वाले सैम्पल १९.९ प्रतिशत पाए गए। इससे स्पष्ट है कि वहाँ जल में बड़ी मात्रा में आर्सेनिक विद्यमान है। इसके चलते वहाँ लोगों को तरह-तरह के चर्म रोग हो रहे हैं, चकत्ते पड़ रहे हैं। वहाँ बहुत बुरी हालत है।

जबकि वह इलाका गंगा की बगल में बसा हुआ है, तब यह हालत है। पूरे बिहार में पेयजल का संकट है। राष्ट्रीय सम विकास योजना में पैसा बचा हुआ है। जो वादा आपने किया है, वह पैसा भी बचा हुआ है। यह जो अध्ययन हुआ, इसको दुनिया भर की मैगजींस ने छापा। यहां के इलैक्ट्रॉनिक चैनल्स ने भी इस बात को दिखाया। इतनी बड़ी समस्या है पेयजल की, यदि कुछ गांवों का अध्ययन हुआ। वित्त मंत्री जी आपका शासन है, मेरी मांग है कि एक विशेष योजना तैयार करके बिहार के सम्पूर्ण भूगर्भ जल का अध्ययन कराएं। अध्ययन कराने के बाद उस पर एक मिशन मोड में काम शुरू होना चाहिए कि क्यों आर्सेनिक इतनी मात्रा में पाया जा रहा है, वह भी गंगा बेसिन के पास पाया जा रहा है। कहां से यह आर्सेनिक पानी में आ रहा है, इसका पता लगाना चाहिए। इसलिए वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए और मिशन मोड में काम होना चाहिए। उसके बाद इसकी रोकथाम का उपाय होना चाहिए। जो चर्म रोग के शिकार हो गए हैं, कुछ दिन के बाद उन्हें कुष्ठ रोग हो सकता है। कुष्ठ रोग के उन्मूलन की बात आप करते हैं। लेकिन नए प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं, उनके उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए रोगों के रोकथाम की व्यवस्था होनी चाहिए।

बिहार में कुछ लोगों ने स्वयं इसका अध्ययन किया है, इसके बाद भी किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। मैं मांग करता हूं कि बिहार का १५०० करोड़ रुपया आपने वचन के हिसाब से बचा हुआ है, आप वह पैसा निकालें, योजनाए बनाएं, पूरा अध्ययन करें, ताकि लोगों को प्रदूषित जल न मिले। लोग समझ रहे हैं कि हम प्रदूषित जल नहीं पी रहे हैं। वे लोग नीचे से टयूबवैल के द्वारा और अन्य रुाोतों के द्वारा पानी निकाल कर पी रहे हैं। इसलिए जो पैसा बचा हुआ है, उसकी स्कीम क्यों नहीं फार्मूलेट हो रही है, यह देखना चाहिए। आप राष्ट्रीय सम विकास योजना बंद करने वाले हैं। ट्रांजेशन अरेंजमेंट क्या है, बैकवर्ड रीजन ग्रांट, इन दोनों के उद्देश्य नहीं मिलते हैं। वहां राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। अब आपके हाथ में सब कुछ है। इसलिए वहां की स्थिति में, आर्थिक स्थिति में सुधार लाएं।

        मैं जब सुबह के सत्र में अपनी बात कह रहा था तो एक केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि चिदम्बरम साहब से बात हो गई है, पैसे की कोई कमी नहीं होगी, सब इंतजाम हो गया है। तो हम चिदम्बरम साहब से जानना चाहते हैं कि क्या पैसे का इंतजाम हो गया है ? जो आपने वचन दिया है, उसका आपके बजट में इंतजाम नहीं है। बिहार सरकार की तरफ से जो बजट प्रस्ताव आया है, उसमें आपने जो इंतजाम किया है, वह रिफलेक्ट नहीं हो रहा है कि इम्प्लीमेंटेशन होगा या नहीं। आपने अपने बजट में राइडर लगा दिया है, सब्जेक्ट टू यूटिलाइजेशन, वहां के बजट में वह रिफलेक्ट नहीं कर रहा है। इसका मतलब इस्तेमाल नहीं होगा, वह पैसा डूब जाएगा और आप विदड्रा कर लेंगे। जो पैकेज देने का निर्णय हुआ है, लगता है वह हवा में धरा का धरा रह जाएगा। हम इस पर वित्त मंत्री जी से प्रतक्रिया चाहेंगे और आग्रह करेंगे कि वह ठोस कदम उठाएं।

बिहार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। हम लोगों के पास बहुत कुछ है, लेकिन लगता है वित्त मंत्री जी परेशान हो रहे हैं। हम उन्हें ज्यादा परेशान नहीं करना चाहते हैं। हम एक बात का जिक्र करना चाहते हैं। अगर आप कहेंगे तो मैं इस पत्र की एक प्रति आपको दे दूंगा, वैसे आपके कार्यालय में भी होगी। कोई भी कागज कहीं नहीं जाता है, वह वहीं रहता है। यह मेमोरंडम है, जो हम लोगों ने प्रधान मंत्री जी को नवम्बर, २००० में सब्मिट किया था। इसमें पैकेज देने की बात है। बिहार की स्थिति तभी सुधर सकती है, जब उसकी मदद की जाए। बिहार की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ी हुई है। हम सभी दलों के सांसदों ने यह पत्र प्रधान मंत्री जी को दिया था। इसे आप ठीक से देखें। इसके अलावा बिहार के सभी दलों के सांसदों ने एक मेमोरंडम वित्त आयोग कोदिया था, उसको भी देखें। आपकी जानकारी के लिए मैं प्रधान मंत्री जी कोसमर्पित ज्ञापन से उद्धृत करना चाहता हूं।

“……. Given the state of economy in Bihar, and the acute scarcity of financial resources, it is absolutely essential that the Central Government writes-off the outstanding loan liabilities of the State Government as has been done at different points of time in respect of several other States faced with similar or even lesser degree of financial crisis.

 

यह जब तक नहीं करेंगे, और कोई उपाय नहीं है।

“In fact, Bihar will have to be given a status of Special Category State, and financial assistance provided to it accordingly.

After coming into existence of Jharkhand, as a separate State, Bihar is left with virtually no industrial units. In order to create a favourable climate for entrepreneurs to move into Bihar to set-up new industries, special concessions in respect of Income Tax, Central Excise, and Central Sales Tax will have to be extended to Bihar.  The Central Government has made a provision for complete exemption from these taxes for a period of ten years for new industrial units in some States.  Considering the extremely small number of industrial units that remain in Bihar, similar facilities will have to be extended to Bihar[R68] .”

 

यह हम लोगों द्वारा दिए मैमोरेंडम का एक हिस्सा हमने उद्धृत किया है। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो बिहार का विकास नहीं हो सकता है। हम राजनैतिक कारणों से एक-दूसरे पर आरोप लगाएं,लेकिन मूल समस्या बिहार की यह है कि बिहार की उपेक्षा जमाने से होती रही है। उपेक्षा दूर करने का आज आपको अवसर मिला है, आपके हाथ में आज सब कुछ है, आप उपेक्षा दूर करिये। आप ही वित्त मंत्री देश के हैं और बिहार के भी हैं। एक कलम से उपेक्षा दूर कर दीजिए। ये सारी छूट वहां दीजिए। लोन्स को राइट-ऑफ कीजिए। बिहार का निर्माण नये सिरे से शुरू कीजिए। जो पैकेज एनडीए की सरकार ने दिया, जिसे आपने भी दोहराया, वह पैकेज सही मायनों में बिहार को मिले, हम यही चाहेंगे। अगर यह नहीं मिलता है तो बिहार के साथ अन्याय होगा। फिर आप पीठ न थपथपाएं कि कचरा साफ करने के लिए बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। आज हम इस चर्चा के माध्यम से वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करेंगे कि बिहार में रिसोर्सेज की कमी के कारण आठवीं पंचवर्षीय योजना में जो तय किया गया, उससे बहुत कम खर्च हुआ। कुल १३ हजार रुपये खर्च होने थे लेकिन खर्च हुए केवल ५ हजार करोड़ रुपये। नौंवीं योजना में साढ़े अठारह हजार करोड़ रुपये खर्च होने थे लेकिन केवल ८ हजार करोड़ रुपये ही खर्च हुए। दसवीं योजना के अभी तीन साल बीते हैं लेकिन उसमें भी खर्च का यही प्रतिशत चल रहा है। इस बीमारी का इलाज करना पड़ेगा और माननीय वित्त मंत्री जी, आप बीमारी का इलाज कर सकते हैं। घोषणा मत करिये कि बिहार को हम देने वाले हैं, घोषणा करते हैं तो सचमुच दीजिए, बिहार का बच्चा-बच्चा आपका ऋणी रहेगा। बिहार का शासन आपके हाथ में है तो वहां की वित्तीय समस्याओं के निराकरण के लिए आप ठोस कदम उठाएं और जो मुद्दे हमने उठाए हैं उनके स्पष्ट उत्तर हम माननीय वित्त मंत्री जी से चाहेंगे।

श्री नखिल कुमार (औरंगाबाद, बिहार) : उपाध्यक्ष जी, बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू है और वहां का बजट लोक सभा में डिस्कस हो रहा है। इससे पहले कि मैं बजट के बारे में कुछ टिप्पणी करुं, यह कहना मैं जरुरी समझता हूं कि बिहार की जो वित्तीय स्थिति है वह चिंताजनक है। यह पुराना इतिहास है और जिस ज्ञापन का जिक्र माननीय नीतीश कुमार जी कर रहे थे, जो बिहार से सांसदों ने १२वें वित्त आयोग को दिया है, उसमें से कुछ उद्धृत करके मैं आपको बताना चाहता हूं कि किस प्रकार से केन्द्र सरकार बिहार के प्रति सौतेला व्यवहार करती है। जो बिहार का स्टेट सीडी है, उसका पर-कैपिटा इन्कम कम इसलिए है कि वहां इन्वैस्टमेंट बहुत कम होती रही है। पहले प्लॉन में स्टेट का पर-कैपिटा एक्सपैंडिचर कुल २५ रुपये और सेंटर का असिस्टेंस पर-कैपिटा १४ रुपये यानि ११ रुपये कम था। जबकि राष्ट्रीय औसत ३३ रुपये था। सातवें प्लॉन में यह ट्रेंड जारी रहा और पर-कैपिटा प्लॉन एक्सपैंडिचर जो स्टेट का और ऑल इंडिया का था वह क्रमश: ३३ रुपये और १९७६ रुपये था। जबकि पर-कैपिटा सेंट्रल असिस्टेंस इसी अवधि में स्टेट और ऑल इंडिया के लिए क्रमश: ३४० रुपये और ३७५ रुपये था। सातवें प्लॉन में पर-कैपिटा प्लॉन बिहार का आउट-ले ६५३ रुपये था जबकि इसी अवधि में पंजाब और हरियाणा के लिए क्रमश: १७७५ रुपये और १७७९ रुपये था। इसी तरह से सेंट्रल असिस्टेंस बिहार के लिए जितना होनी चाहिए थी, उससे बहुत कम रही है। उसका असर यह हुआ कि बिहार में पर-कैपिटा इन्कम ३७०७ रुपये प्रतिवर्ष यानि १० रुपये प्रतदिन है[r69]  ।जबकि पूरे भारतवर्ष का १३ हजार रुपए है। उस दिन हमारे महामहिम राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कहा था कि वह चाहते हैं कि भारत की वित्तीय स्थिति में सुधार आए, कम से कम २०१९-२०२० तक १० परसैंट वार्षिक ग्रोथ रेट होनी चाहिए। वहां तक पहुंचने के लिए अब से १५ साल तक लगातार तकरीबन १५ परसैंट का वार्षिक ग्रोथ रेट होना चाहिए। इसके मुताबिक बिहार में वह अब से लेकर २०१९-२०२० तक कम से कम २० परसैंट होना चाहिए। हम ऐसा मानते हैं कि यह मुमकिन नहीं है। इसकी रिअलिस्टिक फीगर्स क्या होनी चाहिए? ये फीगर्स वही होनी चाहिए, जो महामहिम राष्ट्रपति जी ने पूरे भारतवर्ष के लिए १० परसैंट ग्रोथ रेट की बात कही है। अब से लेकर अगले १५ साल तक अगर बिहार की वार्षिक ग्रोथ रेट १० परसैंट हुई तो उसके लिए बिहार में वार्षिक इनवैस्टमैंट २५ हजार करोड़ रुपए होनी चाहिए। हर वर्ष २५ हजार करोड़ रुपए भारत सरकार, या बिहार सरकार, या यहां के उद्योगपतियों को, या जैसे भी हो, बिहार में लगाने होंगे, तब जाकर बिहार २०१९-२०२० तक राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने की उम्मीद कर सकता है। यह वहां की स्थिति है। वहां की स्थिति बहुत खराब और दयनीय है। मैंने जिन आंकड़ों का जिक्र किया, उससे स्पष्ट है कि बिहार की स्थिति दयनीय है और इसे सुधारने के लिए कुछ असाधारण कदम उठाने की जरूरत है।

बिहार का इस वर्ष का बजट करीब २५ हजार ४०० कुछ करोड़ रुपए का है। पिछले साल के बजट से १७ परसैंट का इसमें इजाफा है। १७ परसैंट के इजाफे से बिहार का विकास नहीं होगा लेकिन अब बजट बन गया और हम इस पर चर्चा कर रहे हैं। मैं इस चर्चा में चुनिन्दा नुक्तों के ऊपर अपनी बात कहना चाहूंगा। सबसे पहले मैं कहना चाहता हूं क वहां की आंतरिक सुरक्षा के लिए जो जिम्मेदार है, यानी पुलिस, उसके लिए कितना प्रावधान है? पुलिस के प्रावधान के लिए सबसे जरूरी बात यह देखनी है कि उसका मनोबल कैसा है? मनोबल ऊंचा या नीचा तब हो सकता है, जब पुलिस के रैंक्स इस बात से आश्वस्त हों कि सरकार उनके लिए चिंतित है, उसका ख्याल रखना चाहती है, उसके कल्याण और भलाई के लिए कुछ करना चाहती है। सबसे महत्वपूर्ण जिस चीज पर पुलिस वाले ध्यान देते हैं, वह घर है। इस समय बिहार पुलिस की लैवल ऑफ सैटिसफैक्शन जो घरों की है, वह १५ परसैंट से भी कम है, यानी अखिल भारतीय औसत से कहीं कम है। अखिल भारतीय स्तर करीब २२ परसैंट है और बिहार की १५ परसैंट से नीचे है, १४.२ परसैंट है – मैं १५ परसैंट कह रहा हूं। इसे बढ़ाना निहायत जरूरी है। इसके लिए बजट में उचित और उपयुक्त प्रावधान होना चाहिए।

मैंने देखा है कि मॉडर्नाइजेशन के हैड में हाउसिंग के लिए कुल ७२ करोड़ रुपए दिए गए हैं। इतने ही पिछले साल दिए गए थे और उतने ही पैसों का प्रावधान इस साल है। इससे काम नहीं होगा। हालांकि, पिछले साल ७२ करोड़ रुपए पूरे खर्च नहीं हुए। उनका पूरा व्यय नहीं हो सका और हाउसिंग लैवल की सैटिसफैक्शन नहीं बढ़ी।

मेरी अपील है क इस साल जो हो चुका, सो हो चुका, लेकिन बिहार सरकार के बजट में जो ७२ करोड़ रुपए का प्रावधान है, इसे बढ़ा कर कुछ भारत सरकार अपनी तरफ से अनुदान करे यानी मैचिंग तो न करें, लेकिन १५ परसैंट करती है तो उससे बहुत फायदा होगा। इससे बिहार पुलिस के रैंक्स को यह अनुभूति होगी कि उसका कोई ख्याल रखा जा रहा है इसलिए हाउसिंग के लिए मैं चाहता हूं कि इसमें इजाफा हो। यह इजाफा भारत सरकार की तरफ से हो।

वहां पुलिस स्टेशन की बिल्िंडग जहां भी चले जाएं, मात्र कुछ बड़े शहरों को छोड़ कर, खास तौर परगांवों में पुलिस स्टेशन की बिल्िंडग देखने को नहीं मिलेगी। उनके पुनर्निर्माण की नितान्त आवश्यकता है। इसके लिए संयोगवश बिहार सरकार से जो बजट आया ह,ै[R70]  उसमें ज्यादा प्रावधान नहीं है । मैं फिर से वित्त मंत्री जी से अपील करूंगा कि इस पर ध्यान दें । अगर पुलिस फोर्स का मनोबल घटता या बढ़ता है तो उसका बहुत बड़ा इंडीकेटर पुलिस स्टेशन बिल्िंडग है । पुलिस स्टेशन बिल्िंडग नहीं होगा तो पुलिस वाले काम नहीं करेंगे । अगर भारत सरकार के वित्त मंत्री मुनासिब समझें तो उनके लिए अनुदान की कृपा करें । वे कितना करते हैं मैं यह नहीं जानता, लेकिन मैं अपनी तरफ से मांग करता हूं १००० करोड़ रुपए बिहार को दिया जाए जिसमें पुलिस बिल्िंडग्स हों और आवास का इंतजाम हो । यह पर्याप्त तो नहीं होगा परंतु शुरूआत हो सकती है ।

सिंचाई के बारे में कहने से पहले मैं कहूंगा कि बिहार एक अजीब – सा प्रदेश है जहांं हर वर्ष बाढ़ आती है । जब बाढ़ के बाद पानी घटने लगता है तो बहुत सारे इलाके ऐसे हैं जहां पर पानी जमा रहता है । वहां पर पानी के जमावड़े का इलाका तकरीबन साढ़े नौ से दस लाख हेक्टेयर है । यह पानी हटता नहीं है । कम से कम छ: से सात महीने वहीं जमा रहता है यानि जहां पर तीन फसलें होनी चाहिए वहां पर दो फसलें भी नहीं हो पाती । अगर दो फसलें भी नहीं होती हैं तो इसका क्या असर वहां के आम आदमी पर होगा, आप सोच सकते हैं । यह जरूरी है कि जहां पर पानी का जमावड़ा है यानि वाटर लॉग है, उसे निकालने का, उसी ड्रेनेज का इंतजाम किया जाए । मैंने नोटिस किया है इसमें ४० परसेंट का इज़ाफा हुआ है । बजट के प्रावधान में ८१७ करोड़ रुपए से बढ़ाकर११४२ करोड़ रुपए किया गया है । लेकिन यह पर्याप्त तब होगा जब हम आश्वस्त हो जाएं कि जिन इलाकों में पानी का जमावड़ा है, वहां से हम ड्रेनेज कर सकते हैं, सुखा सकते हैं । जिस तरीके से ४२ करोड़ रुपए का प्रावधान हुआ है जिसमें से २.४ लाख हेक्टेयर तीन-साढ़े तीन साल में जाकर खाली होगा, यह गति ठीक नहीं है । इसमें जो वित्तीय प्रावधान है वह भी कम है । जो भारत सरकार का जल संसाधन मंत्रालय है, उसने इस पर काफी ध्यान दिया है, मुझे मालूम है । मेरी मंत्री जी से भी बात हुई थी उन्होंने कहा था कि इस पर ध्यान देंगे । मैं अपील करता हूं कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर भारत सरकार ध्यान दे और पानी के जमावड़े के कारण खास तौर से उत्तरी बिहार में डेढ़ फसलें नहीं हो पाती है, उस जमावड़े को हटाए । यह तभी मुमकिन है जब इस प्रावधान को बढ़ाया जाए । मुझे बताया गया है कि इस समय वर्तमान वित्तीय वर्ष का प्रावधान है कुल ४२ करोड़ रुपए, जिसमे से अगर सारा खर्चा हो गया तो भी तीन साल में इलाका क्लियर होगा । इस तरह से तीन साल में ढाई लाख हेक्टेयर इलाका साफ होना, यह ठीक नहीं है, यह असंतोषजनक है । इसको बढ़ाया जाए और कम से कम इसे तिगुना किया जाए ।…( व्यवधान)

MR. DEPUTY-SPEAKER: That will not go on record.

(Interruptions) …*

श्री नखिल कुमार : सात लाख हेक्टेयर इलाके में पानी भरा हुआ है, इसे क्लियर करने के लिए नाबार्ड को पैसे चाहिए । इस वर्ष नाबार्ड को दो सौ करोड़ रुपए की स्कीम दे दी गई । नाबार्ड कहता है कि वह ४२ करोड़ रुपए खर्च कर सकेगा पर ४२ करोड़ रुपए से उपयुक्त काम नहीं होगा, उपयुक्त परिणाम नहीं निकलेगा । इसके लिए बहुत जरूरी है कि इस सारे इलाके में जो वाटर लॉगिंग है, जहां पर पानी जमा हुआ है, उसे निकाला जाए । जब तक इसके लिए ड्रेनेज नहीं होगा तब तक काम नहीं चलेगा ।

इसी के साथ हर वर्ष हम सुनते हैं और एक ही राग अलापते हैं कि उत्तर बिहार में पानी आ गया, बाढ़ आ गई । बाढ़ कहां से आती है? बाढ़ आती है उन नदियों से जो नेपाल से आती हैं । नेपाल की मुख्य नदियां हैं – कोसी, गंडक, बागमती, कमला आदि । आज से ३०-३५ साल पहले कोसी पर कोसी हाई कैनाल बनाने का प्रावधान हुआ था और कोसी वैस्ट कैनाल निकाली गई थी । कोसी वैस्ट कैनाल ३५ किलोमीटर का काम नेपाल में हो चुका है उसके बाद थोड़ा काम बिहारी में हुआ यानि भारत में । बाकी कोई काम नहीं हुआ, इस्टर्न कैनाल का काम नहीं हुआ है[p71] ।  इस काम को करना बहुत जरूरी है। अगर काम नही होगा तो सारी कोसी बैल्ट में हर साल लोग यही अलापते रहेंगे कि बाढ़ आ गई और सारा इलाका जल-प्लावित हो गया। इसलिये वित्त मंत्री जी से आग्रह है कि उन्हें इस कार्य के लिये वित्तीय प्रावधान अभी से करना चाहिये। नेपाल सरकार से बात करनी होगी और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश करनी होगी। मैं जानता हूं कि अगर कोशिश की जाये तो वे जरूर मान जायेंगे। सन् १९९६ में पंचेश्वर डैम बनाने के लिए एक ट्रीटी नेपाल से हुई थी। यह एक हाइडल प्रोजैक्ट के लिए है। इस डैम से हमें बिजली मिलनी थी। वह काम अब रुका हुआ है। शायद भारत और नेपाल सरकार के बीच सहमति नहीं हुई है। यह डैम अपस्ट्रीम या डाउनस्ट्रीम बनना है, इस पर सहमति हो जानी चाहिये थी। मैं पुष्टि तो नहीं कर सकता लेकिन मुझे पता चला है कि यह डैम डाउनस्ट्रीम बनेगा। यह काम पूरा होना चाहिये और इसके लिये वित्तीय प्रावधान आवश्यक है। पंचेश्वर से बिहार का कोई संबंध नहीं लेकिन बिजली बिहार को मिल सकेगी। इसलिये हम इस कार्य के लिये इंटरैस्टेड हैं। वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि इसके लिये मुनासिब वित्तीय सहायता दी जाये। इसके अलावा कमला, बागमती, गंडक, कोसी नदियों से बाढ़ आती है।

16.47 hrs.                                          (Shri Devendra Prasad Yadav in the Chair)

सभापति जी, मैं आपके इलाके की बात कर रहा हूं। जो बांध वहां बनना है, उसके लिये भारत का नेपाल सरकार के साथ समझौता जरूरी है। इससे बिजली मिलेगी…( व्यवधान)

सभापति महोदय :  आसन का कोई इलाका नहीं होता है। आप अपनी बात जल्दी समाप्त करिये।

श्री नखिल कुमार : मैं बिहार की नहीं, पूरे भारत की बात कर रहा हूं। इस मसले पर समझौता होना जरूरी है और भारत सरकार को भरसक कोशिश करनी चाहिये।

सभापति जी, मैं अंत में पॉवर के बारे में बात करूंगा। बिहार की डिमांड १५०० मेगावाट है, यह कहां से आयेगी? बिहार में बरौनी, कांटी, बारून, कहलगांव में पॉवर प्रोजैक्ट्स हैं। इनसे १५०० मेगावाट बिजली पैदा नहीं हो सकती। आज सिर्फ बरौनी प्लांट ही काम कर रहा है और उसकी क्षमता पूरी नहीं है। लगभग १००० मेगावाट बिजली बिहार को बाहर से मंगानी पड़ रही है। मेरा अनुरोध है कि कांटी, बारून और बरौना प्लांट पूरी क्षमता से चलने चाहिये। यह बहुत जरूरी है।

सभापति महोदय : नखिल जी, आपको बोलते हुये १८ मिनट हो गये हैं। आप रूलिंग पार्टी से हैं। कृपया समाप्त करिये।

श्री नखिल कुमार :  मेरा कहना था कि इन प्रोजैक्ट्स को फिर से शुरु करना चाहिये। यह कार्य तभी होगा यदि बिहार सरकार का NTPC से समझौता हो। इस कार्य में जितनी जल्दी हो सके, उतना अच्छा है। समझौता होने से पहले एक इम्पार्टेंट बात यह है कि औरंगाबाद के नबीनगर प्रोजैक्ट ८००० करोड़ रुपये का था जिसे जल्दी शुरु कर दिया जाये। शायद यूनियन कैबिनेट से उसे स्वीकृति नहीं मिली है। यदि यह स्वीकृति मिल जाय तो हम लोगो का कल्याण हो जायेगा लेकिन इसके लिये भारत सरकार जल्दी मुनासिब वित्तीय सहायता प्रदान करे।

श्री बसुदेव आचार्य (बांकुरा) : सभापति महोदय, आज संसद में बिहार के बारे में वोट ऑन एकाउंट लाना पड़ा है। विधान सभा चुनाव के बाद वहां सरकार नहीं बनी और राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा। अगर ऐसा नहीं होता तो बिहार में फाइनेन्शियल क्राइसेज पैदा हो जाता। इसलिए मजबूरी में वोट ऑन एकाउंट लाना पड़ा है, जिस पर सदन में चर्चा हो रही है।

जब बिहार का विभाजन हुआ था, उस विभाजन में बिहार के सब इंडस्ट्रीज, स्टील प्लान्ट्स, खदानें, कोयला, अभ्रक, तांबा आदि सब झारखंड में चले गये और जो एक-दो इंडस्ट्रीज बिहार में रह गईं, वे भी बंद हो गईं – जैसे बरौनी में उर्वरक का एकमात्र कारखाना है। विभाजन के बाद हिन्दुस्तान फर्टिलाइज का जो उर्वरक कारखाना बरौनी में है, वह भी बंद हो गया। हम लोगों ने कोशिश की थी, उस समय हम प्रधान मंत्री, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिले थे और उनसे कहा था कि उर्वरक का कम से कम एक कारखाना बिहार में होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से वह भी बंद हो गया। बिहार के भारत वैगन्स कारखाने में कोशिश करके लालू जी ने उत्पादन शुरू करवाया, लेकिन वह भी बंदी के कगार पर पहुंच गया है।

रेल मंत्री (श्री लालू प्रसाद) : मुजफ्फरपुर का कारखाना भी चालू करवाया था।

श्री बसुदेव आचार्य :  आपने मुजफ्फरपुर और मोकामा के कारखाने भी चालू कराये। हमने बोला कि आपने जो सुविधा भारत वैगन्स को दी है, वही सुविधा आप बर्न स्टैंडर्ड कं० लि. को भी दीजिए। वहां उत्पादन हो रहा है, वह बंगाल में है।

श्री लालू प्रसाद :आप कलकत्ता चले गये।

श्री बसुदेव आचार्य : उस समय बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज देने का वायदा किया गया था। जब इसी बात को रघुवंश बाबू ने जोर देकर सदन में उठाया, तो हमें आश्वासन दिया गया और कहा गया कि वहां पंचायतों के चुनाव बहुत दिनों से नहीं हुए हैं। उसके बाद पंचायत के चुनाव भी हो गये, परन्तु पैसा नहीं मिला। जब पंचायत चुनाव नहीं हुए थे, तब भी राज्य का जो फंड का एनटाइटलमैन्ट था, उसे रघुवंश बाबू ने बहुत जोर से हाउस में उठाया था तथा संसद में उस पर कालिंग अटैन्शन और नियम १९३ के तहत चर्चा भी हुई थी।

श्री प्रभुनाथ सिंह : इसे जल्दी खत्म करिये, बिहार के पैसे का सवाल है।

श्री बसुदेव आचार्य : पैसे के लिए ही बोल रहे हैं।

ग्रामीण विकास मंत्री (डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह) : पैसे के सवाल पर ही बोल रहे हैं।

श्री बसुदेव आचार्य : हम बिहार के लिए बोल रहे हैं और आप नाराज हो रहे हैं। करीब आठ सौ, नौ सौ करोड़ रुपया बिहार का रिलीज नहीं किया। इतना पैसा बिहार राज्य को नहीं मिला।

डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह : दसवें वित्त आयोग का पैसा था।

श्री बसुदेव आचार्य : वह दसवें वित्त आयोग का पैसा था। उन्होंने कहा कि पंचायतों के चुनाव नहीं हुए हैं। उसके बाद पंचायत के चुनाव भी हो गये, लेकिन पैसा तब भी नहीं दिया। इस तरह का स्टैप मदरली एटीटयूड पिछले दिनों बिहार के साथ हुआ है।

श्री राम कृपाल यादव (पटना) : वह साढ़े चार सौ करोड़ रुपया था।

श्री बसुदेव आचार्य : साढ़े चार सौ करोड़ रुपया अपने हक का था, उसे भी रोक लिया। इस तरह का सौतेलापन बिहार के साथ होता रहा है।…( व्यवधान)

डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह : एन.डी.ए. के लोगों ने कहा, झारखंड का चुनाव नहीं करवाया।…( व्यवधान)

श्री बसुदेव आचार्य : २५ साल से वहां पंचायतों के चुनाव नहीं हुए। २५ साल तक इनका राज था, लेकिन चुनाव नहीं हुए। चार साल से उनका राज था, तब भी चुनाव नहीं कराये गये। २५ साल से झारखंड…( व्यवधान)

सभापति महोदय :  आचार्य जी, आप विषय पर बोलिये।

श्री बसुदेव आचार्य : चुनाव भी हो गये, लेकिन बिहार को पैसा नहीं मिला। इस तरह का सौतेलापन बिहार के साथ शुरू से हुआ है। बिहार एक समय…( व्यवधान)

श्री लालू प्रसाद :जमींदारी के समय से होता आया है।

श्री बसुदेव आचार्य : जमींदारी एबोलिशन, जमींदारी व्यवस्था खत्म करने का कानून सबसे पहले बिहार में आया। वह चलता आ रहा है। …( व्यवधान)

श्री लालू प्रसाद :  बेनामी करके सब जमीन चुरा ली।

श्री बसुदेव आचार्य : सब जमीन चुरा ली, बेनामी नाम से रख ली। भूमि सुधार नहीं हुआ। इसी कारण बिहार में गरीबी बढ़ी है, बेरोजगारी बढ़ रही है[R72] ।

सभापति जी, सबसे ज्यादा माइग्रेशन आज बिहार से हो रहा है। आबादी का घनत्व सबसे ज्यादा बिहार में है। आबादी दोगुनी हो गई है। माइग्रेशन इसलिए हो रहा है, क्योंकि रोज़गार के जो भी साधन थे, इंडस्ट्री थीं, सैन्ट्रल पब्लिक सैक्टर अंडरटेकिंग्ज़ थे, वे सभी बंद कर दिये गये। …( व्यवधान)   महाराष्ट्र गए तो वहां से मारकर भगा दिया, गोहाटी गए तो वहां से भी मारकर भगा दिया।

सभापति महोदय :  आप समाप्त कीजिए। अभी कई माननीय सदस्यों ने अपनी बात कहनी है।

श्री बसुदेव आचार्य : इसलिए इस सदन में बार-बार ज़ोरदार मांग उठ रही है कि बिहार के लिए स्पेशल पैकेज होना चाहिए, बिहार को एक विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उत्तर पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर को मिलाकर आठ राज्यों को टैक्स हॉलिडे मिला है, लेकिन उत्तरी बिहार को क्यों नहीं मिला? हर साल नॉर्थ बिहार में बाढ़ और सुखाड़ पड़ता है। नेपाल से जितनी भी नदियां आती हैं, वे हर साल बाढ़ लाती हैं, इसलिए बिहार को एक विशेष द्ृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। हम आशा करेंगे कि संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा की सरकार राष्ट्रपति शासन के दौरान ही बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा, सिर्फ कागज़ों पर ही नहीं करेगी, बल्कि धनराशि का प्रावधान भी करेगी। बिहार की बहुत समस्याएं हैं। वहां ३६ प्रतिशत गांवों में इलैक्टि्रफिकेशन हुआ है। बिजली के उत्पादन मे जो पीक डैफसिट होता है, वह बहुत ज्यादा है।

श्री सुशील कुमार मोदी (भागलपुर) : कांटी में बंद है और बावली में भी बंद है।

श्री बसुदेव आचार्य : इसलिए हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा धनराशि की व्यवस्था केन्द्र सरकार की तरफ से होनी चाहिए। …( व्यवधान)

एक माननीय सदस्य : कुछ बंगाल से भी काटकर भेज दीजिए।

श्री बसुदेव आचार्य : बंगाल में तो सरप्लस है। हम अभी भी दूसरे राज्यों को बिजली दे रहे हैं। …( व्यवधान)

सभापति महोदय :  माननीय सदस्य बैठे-बैठे न बोलें। आचार्य जी, आप समाप्त कीजिए और टोका-टोकी में न फंसें।

श्री बसुदेव आचार्य :  इसलिए हम चाहते हैं कि आप बिहार के लिए विशेष धनराशि की व्यवस्था करें। यही कहते हुए हम आपको धन्यवाद देकर अपनी बात समाप्त करते हैं।

सभापति महोदय :   श्री शैलेन्द्र कुमार – अनुपस्थित।

श्री रघुनाथ झा।

…( व्यवधान)

सभापति महोदय :  माननीय सदस्य बैठे-बैठे न बोलें।

…( व्यवधान)

श्री रघुनाथ झा (बेतिया) : सभापति जी, मैं सबसे पहले माननीय नीतीश जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने बिहार के भूत, भविष्य और वर्तमान की स्थिति का बखान एक सही राजनेता के रूप में किया है।

इस बहस के ज़रिये, इस सदन के माननीय सदस्य भारत दर्शन करा रहे है और हम बिहार दर्शन कराना चाहते हैं। हम आपको संयुक्त बिहार की ओर ले जाना चाहते हैं। हमारा बिहार जो आज से चार-पांच साल पहले एक था, उसे कैसे बाँटा गया और किसने बांटा। जो हमारी सारी खनिज संपदा थी, कल-कारखाने थे, विद्युत थी, टैक्निकल एजुकेशन थी, वह सब बंट गई। वहीं शुरू में जमशेदजी टाटा ने सबसे पहली स्टील फैक्ट्री लगाने का काम किया था[h73] ।

17.00 [i74]  hrs.

टाटा कम्पनी अलग-अलग तरह की सैंकड़ों चीजों का निर्माण करती है चाहे लारी हो, बस हो, बड़ी-बड़ी गाड़ियां हों, साबुन हो, तेल हो, आचार हो, पापड़ हो, चादर हो । आधुनिक भारत में जब देश आजाद हुआ तो उस समय हमारे बिहार के मुख्यमंत्री और देश के लोगों ने मिल कर उसी इलाके में कारखाने लगाने का काम किया । बड़े-बड़े कारखाने जैसे बोकारो, डीबीसी, बीसीसीएल, ईसीएल, बीसीएल, कोल इंडिया जिसको नाम दिया गया, सारे कल-कारखाने उसी इलाके में लगाए गए । दूसरा पार्ट हमारे मध्य बिहार का, गंगा के दक्षिण का इलाका, जो जमींदारों के शोषण के कारण से बड़े-बड़े भू-स्वामियों के शोषण के कारण पिछड़ा रहा । हमारे साथी कह रहे थे कि जमींदारी प्रथा का उन्मूलन सबसे पहले बिहार में हुआ । यह बात हकीकत है, दूसरे लोगों के हाथों में जमीन और संपत्ति देने के लिए लेकिन लोगों को पूरा समय दिया गया था । तरह-तरह से लोगों के बीच में वितरण हुआ । बिहार की असेम्बली के रिकार्ड में है कि लोगों ने किस-किस नाम से कैसे-कैसे अपनी संपत्ति का वितरण किया । संपत्ति को जिन गरीबों को मिलना चाहिए था, उनको नहीं मिली और यही कारण है कि पूरा भू-भाग आज नक्सलिज्म के दौर से गुजर रहा है । बेरोजगार नौजवानों ने हथियार उठाए और आज नक्सलवाद का सबसे अधिक प्रभाव उसी इलाके में है । तीसरा इलाका हमारा गंगा के उत्तर का इलाका है । जिसको उत्तरी बिहार कहते हैं । जहां जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है । हमारी भूमि उपजाऊ है लेकिन वह जगह सर्वाधिक प्रतिवर्ष नेपाल से निकलने वाली नदियों से बरबाद होती रही है और ऐसे मौके पर मुझे श्री करपूरी ठाकुर की वह बात याद आती है जब श्री करपूरी ठाकुर असेम्बली में थे चाहे पक्ष में हों या विपक्ष में, चाहे सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में हों या विपक्ष के नेता या साधारण सदस्य के रूप में, वे कहते थे जब तक भारत सरकार नेपाल सरकार से वार्ता करके नेपाल की नदियों से होने वाले नुकसान की भरपाई नेपाल सरकार से नहीं करेगी

और हाई डैम बनाकर नदियों को नियंत्रित नहीं करेगी तब तक इस प्रदेश यानि उत्तरी बिहार की बरबादी और बेरोजगारी नहीं मिटेगी ।

महोदय, यह हमारा बिहार है और शुरू से बिहार का शोषण होता रहा है । प्रथम पंचवर्षीय योजना से ले कर आज तक जितनी योजनाएं बनीं, बिहार की गरीबी का कारण बिहार की नदियों से होने वाली बरबादी तथा पंचवर्षीय योजना में उपेक्षा है । बिहार पर किसी भी केंद्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया । १९५२ से ले कर या यों कहिए १९४७ से ले कर आज तक बिहार को चारागाह समझा गया और बिहार के राजनेताओं को लड़ाने की हमेशा केंद्र सरकार ने कोशिश की और वह कोशिश लगातार जारी है । जब डॉ. श्री कृष्ण सिंह सत्ता में थे उस समय भी श्री बाबू और अनवर बाबू को लड़ाने की बात हुई । श्री विनोभा नंद सहाय, श्री के.वी सहाय और श्री महेश बाबू को लड़ाने की बात हुई । अभी भी केंद्र सरकार की ओर से सौतेला व्यवहार बिहार के साथ बराबर किया जा रहा है ।

महोदय, खनिज संपदा चार बरस पहले चली गई । उस खनिज संपदा के हम मालिक थे । हमको मालिकाना रायल्टी देने की बात थी । मूल्य आधारित रायल्टी नहीं दी गई । दिल्ली वाले सारी संपदा के मालिक हो गए और हम लोग ठेकेदार के रूप में हैं । हमको जो चाहे दया से दे सकते हैं । हमको रायल्टी मूल्य के आधार पर नहीं दी गई । तीन वर्षों के बाद रायल्टी का रिवीजन होता है । वह भी नहीं किया गया है [i75] ।

महोदय, हमारे सभी लोग इसकी बगावत करते रहे। बड़े-बड़े कल-कारखाने, चाहे वे झारखंड में हों, बोकारो में हों या हटिया में हों, चाहे वह टाटा का कारखाना हो, चाहे वह प्राइवेट सैक्टर का कारखाना हो, चाहे वह सेंट्रल सैक्टर का कारखाना हो या स्टेट सैक्टर का, उनके हैडक्वार्टर्स कलकत्ता, मुम्बई अथवा दिल्ली में हैं। कच्चा माल हम देते हैं, उसकी रक्षा हमारी पुलिस करती है, उसको निकालने के लिए बिजली और पानी कम कीमत पर, सस्ते दाम पर हम देते हैं, लेकिन किसी का हैडक्वार्टर कलकत्ता में है, किसी का मुम्बई में है और किसी का दिल्ली में है। इसके कारण इन्कमटैक्स, सेल्सटैक्स और कंसाइनमेंट टैक्स के रूप में जो धन बिहार को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा है और इन बड़े-बड़े शहरों को चला जाता है।

महोदय, बिहार के साथ बहुत अन्याय हो रहा है। लोहा बिहार में पैदा होता है और साइकिल पंजाब में बनती है। पूरे देश के लोगों ने बिहार को एक कंजूमर मार्केट समझा है। हमारी सम्पदा है और हमें ही लाभ नहीं मिलता है। आप तीन-चार चीजों को देखेंगे, तो आप स्वयं पाएंगे कि बिहार के साथ कैसा अन्याय हुआ है। …( व्यवधान)

MR. CHAIRMAN : श्री रघुनाथ झा जी, आप अपना भाषण जारी रखिए और हमें एड्रैस कर के बोलिए। Nothing will go on record except the speech of Shri Raghunath Jha.

(Interruptions) …*

श्री रघुनाथ झा : महोदय, संसद का गठन हुआ, तो देश के नेताओं ने देश के क्रमिक और त्वरित विकास के लिए प्लानिंग कमीशन का गठन किया। प्रथम प्लानिंग कमीशन की बैठक का उद्घाटन करते हुए, देश के प्रथम प्रधान मंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू ने, योजना आयोग के अध्यक्ष की हैसियत से कहा था कि जहां हमें एक ओर देश का क्रमिक और त्वरित विकास करना होगा वहां दूसरी ओर क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना होगा और गरीबी की खाई और अमीरी के पहाड़ के बीच जो दूरी है उसे पाटना होगा, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि उन्हीं के परिवार के लोगों ने, उन्हीं की पार्टी के लोगों ने, जो भी योजना बनीं, इस देश का इस हिसाब से भेदभाव किया कि गरीबी की खाई बढ़ती चली गई और गरीब और गरीब होते गए, तथा अमीरी का पहाड़ और ऊंचा होता चला गया अर्थात् अमीर और अमीर हो गए। स्थित यह हो गई कि जो गरीब थे वे और गरीब हो गए, जो पिछड़े थे वे और पिछड़ गए।

महोदय, हम अधिक समय न लेकर, बहुत संक्षेप में बात करना चाहते हैं। जिस बात का जिक्र माननीय नीतीश जी ने किया था, उसके बारे में पूछना चाहते हैं। हम लोग एन.डी.ए. के साथ थे और उनके दल में थे। जार्ज फर्नान्डीज के निर्देशों की अवहेलना कर के हमने इस सवाल को उठाया और कहा कि बिहार के पुनर्गठन के बाद, बिहार के विकास के लिए विशेष पैकेज मिलना चाहिए। बिहार की स्थिति का आकलन करने और उसे विशेष आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए माननीय प्रधान मंत्री जी ने, श्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। उस कमेटी में हमने मैमोरेंडम देने का काम किया, लेकिन आज तक उसका लाभ नहीं मिला और केवल आई-वॉश करने का काम हुआ।

माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं और सरकार से पूछना चाहता हूं कि नेपाल से निकलने वाली नदियों के बारे में कौन वार्ता करेगा, क्या बिहार की सरकार, क्या वहां के गवर्नर वार्ता करेंगे, क्या उनको वार्ता करने का अधिकार है ?वे वार्ता नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें वह अधिकार प्राप्त नहीं है। नेपाल से भारत के वित्त मंत्री, श्री पी. चिदम्बरम साहब वार्ता करेंगे, उससे भारत के प्रधान मंत्री, डॉ.मनमोहन सिंह वार्ता करेंगे, लेकिन कब करेंगे, क्या हमें और हमारे बिहार को इसी तरह बर्बाद होते हुए

* Not Recorded.

आप देखना चाहते हैं ? देश के दूसरे हिस्सों में या समुद्र में किसी प्रकार का कोई नुकसान होता है, कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो उसकी भरपाई सारे देश को करनी पड़ती है। हम लोग भी अपना शेयर देते हैं। उड़ीसा में चक्रवात आया, गुजरात में भूकम्प आया, चाहे देश के किसी भी हिस्से में कोई विपत्ति आए, सारा देश सहायता करता है और बिहार भी अपना हिस्सा देने में कभी पीछे नहीं रहता, लेकिन नेपाल से निकलने वाली नदियां जो बिहार की बर्बादी करती हैं, उन्हें रोकने के लिए अथवा उनसे होने वाली बिहार की बर्बादी की भरपाई कौन करेगा[rpm76] ?  हम आपसे पूछना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि अगर बिहार के प्रति थोड़ी भी सरकार की भावना हो, बिहार को देखना चाहते हैं, उसे मजबूत करना चाहते हैं तो इन्हें बिहार के बारे में सोचना पड़ेगा। बिहार की गरीबी, बेबसी और बेरोजगारी को देखना पड़ेगा।

महोदय, आज यह कहा जाता है कि १५ वर्ष में श्री लालू जी ने क्या किया, मैं पूछना चाहता हूं कि बिहार को कितना धन मिला? अगर श्री नीतीश जी भी मुख्य मंत्री के पद पर बैठ जाते तो वे क्या करते? इसलिए हम कहना चाहते हैं कि –

चमन को सींचने में कुछ पत्तियां झड़ गईं होंगी,

यही इल्ज़ाम इन पर लग रहे हैं बेवफाई के,

मगर कलियों को जिसने रोंद डाला अपने हाथों से,

वही दावा कर रहे हैं इस चमन की रहनुमाई का

सभापति महोदय, आज बिहार की स्थिति को पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर समझने की जरूरत है। जैसे श्री नीतीश जी ने कहा कि उसके रोग के निदान को खोजने की जरूरत है और इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

सभापति महोदय : झा जी, अब आप कंक्लुड कीजिए।

श्री रघुनाथ झा : सभापत महोदय, हम दो मिनट में खत्म करते हैं। मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आज हमारी जो मांग है और मेमोरेंडम पड़ा है, आपने जो ऑन द फ्लोर ऑफ द हाउस वायदा किया था और श्री आडवाणी जी ने साफ कहा था कि हम एक राज्य को गरीब और एक को अमीर नहीं बनने देंगे। उसका क्या हुआ? आपने मनिमम प्रोग्राम में भी इस बात का जिक्र किया है, उसके बाद भी आपने इसमें हमें कोई लाभ नहीं दिया।…( व्यवधान)

श्री सुशील कुमार मोदी : महोदय, हमें भी बोलना है।…( व्यवधान)

श्री रघुनाथ झा : महोदय, सुशील मोदी जी नहीं बोलेंगे तो कैसे काम चलेगा?

सभापति महोदय : मोदी जी को भी बुलवा लेंगे।

…( व्यवधान)

श्री खारबेल स्वाईं (बालासोर) : वित्त मंत्री जी, इन पर थोड़ी मेहरबानी कीजिए।…( व्यवधान)

श्री रघुनाथ झा : सभापति महोदय, यूपीए का जो कॉमन मनिमम प्रोग्राम बना है –

 

“…From time to time, previous Governments have announced a special economic package for the North-Eastern States, for Bihar and for J&K. For Bihar, the late Rajiv Gandhi had announced a Special Development Package in 1989 and subsequently another package was announced at the time of division in 1999 to make up for the loss of revenue. These packages will be implemented expeditiously.”

 

उसमें वित्त मंत्री जी ने हमें क्या दिया है, मैं आपको दो-तीन आंकड़े बता देता हूं। बिहार की पर-केपिटा इंकम ३,३४५ रुपए है, जहां राष्ट्रीय औसत १२,८७० रुपए है। विद्युत के उत्पादन के लिए हमारे यहां कम से कम २००० मेगावाट की आवश्यकता है। भविष्य का प्लान पूरा करने हेतु हमें ६० हजार मेगावाट चाहिए, इसलिए उसका पैसा हमें देने की व्यवस्था कीजिए। सिंचाई में नेशनल एवरेज ४० प्रतिशत है और बिहार में २० प्रतिशत है। जमीन की सिंचाई के लिए पानी दिया जाए। इसके लिए तरह-तरह के प्रोग्राम टेक-अप किए जाएं। हमारे यहां नदियों से, वर्षा से १०,००० से अधिक हैक्टेयर में जल-जमाव है। हमारे यहां मोकामा टाल, बढ़ैया टाल है। हर साल गंगा नदी से सैंकड़ों गांव गंगा में विलीन हो जाते हैं और कटाव होता है। खेत, जमीन बर्बाद हो जाती है। इसलिए हम मांग करना चाहेंगे कि उसके लिए हमें विशेष पैसा दिया जाए[R77] ।

उसी तरह से गंगा नदी के दोनों तरफ जमीन और मकानों का कटाव होता है। फूड फॉर वर्क योजना में १५० जो पिछड़े जिले लिए गये हैं, उनमें बिहार के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं लिखा है कि कितने जिले हैं, लेकिन हम लोग सुनते हैं कि १५ जिले हैं। उसका आधार क्या है, पूरे नोर्थ बिहार के जो सबसे ज्यादा नुकसान वाले जिले हैं, पश्चिमी चम्पारन से लेकर, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारन, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, यह जो पूरा इलाका है, यह पूरा नदियों से बर्बाद होता है, इनको किस आधार पर आपने छोड़ने का काम किया है? ये बैकवर्ड जिले हैं कि नहीं हैं, जो बर्बाद हो जाते हैं? जहां दो फसल हो सकती हैं, वहां हमारी एक फसल होती है। सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर हमारा बर्बाद होता है। एक हजार करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का हमको नुकसान होता है, उसकी भरपाई हमें करने की आवश्यकता है।…( व्यवधान) हम अपनी बात बताकर खत्म करेंगे। निवेदन तो अन्त में होता है।

सभापति महोदय : अब कन्क्लूड किया जाये।

श्री रघुनाथ झा : आपने वर्ष २००५-२००६ में जो १२वें वित्त आयोग से पैसा आबंटित होने वाला है, उसमें १०,१७२ करोड़ रुपये रिकमेण्डेड हैं, जबकि पीछे हमें मात्र २६८३ करोड़ रुपये मिले हैं। हैल्थ सैक्टर में ५८८७ करोड़ रुपये में से बिहार को मात्र १८१९.९० करोड़ रुपये मिले हैं। सड़कों और पुलों के कार्य के लिए जहां १५ हजार करोड़ रुपये मिले हैं, बिहार को मात्र ३०३ करोड़ रुपये मिले हैं।…( व्यवधान) वनों के रख-रखाव के लिए एक हजार करोड़ रुपये में से बिहार को मात्र पांच करोड़ रुपये दिये गये हैं। हमारी संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण के लिए कुल ६३२ करोड़ रुपये में से बिहार को मात्र ४० करोड़ रुपये दिये हैं। राज्यों की विशेष आवश्यकता के लिए ७१०० करोड़ रुपये में से बिहार को ४०० करोड़ रुपये की आवश्यकता है, लेकिन बहुत कम दिया गया है।

अन्त में हम अपनी बात खत्म करते हैं।बिहार के बैंकों में जो भिन्न-भिन्न लोग पैसा जमा करते हैं, बिहार के शिक्षक, बिहार के कर्मचारी, बिहार के व्यापारी, बिहार के अध्यापक, बिहार के प्राध्यापक, वकील वगैरह जो बिहार के सब लोग बिहार के बैंकों में पैसा जमा करते हैं, उसका सी.डी. रेश्यो क्या है? वह हमारा पैसा है और ये लोग हमारा पैसा काट लेते हैं। वह पैसा हमारे राज्य में खर्च नहीं होता। रिजर्व बैंक की डायरैक्शन के हिसाब से हमें उसका ३७ परसेंट मिलना चाहिए, जबकि ये हमें मात्र १५ परसेंट दे रहे हैं। हमारा पैसा हमें कौन देगा, यह हम जानना चाहते हैं? हमारा हकमारी करने वाले लोगों की बात बिहार में बहुत दिनों तक चलने वाली नहीं है।

सभापति महोदय : अब समाप्त कीजिए।

श्री रघुनाथ झा : इसी तरह से मैं नदियों के बारे में कहना चाहता हूं।…( व्यवधान) सभापति महोदय, हमने खत्म कर दिया। जब तक नेपाल में हाई डैम नहीं बनाये जाएंगे, चाहे वह बागमती पर हो, चाहे अदवाड़ा समूह पर हो, गंडक पर हो और जब तक इन पर हमारा नियंत्रण नहीं होगा, तब तक काम नहीं चलेगा।

मैं अन्त में वित्त मंत्री जी से मांग करता हूं, निवेदन करता हूं कि बिहार का हिस्सा आप देने का काम कीजिए। आपने समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद।… (Interruptions)

MR. CHAIRMAN: You know that nothing is being recorded.

 

 

(Interruptions) …*

SHRI UDAY SINGH (PURNEA): Sir, I am aware of the fact that all Members must be tired now and want to call this a day.

This is rather a very unusual situation when an elected Member has to discharge his functions here which normally should have been the functions of the State Assembly.  Before I start to put my demands to the hon. Finance Minsiter, I would like to say that to those who are today defying logic and standing in the way of a popular Government being formed in Bihar, that there can be no politics for and by exclusions.  We do not need certificates for being extremely tolerant, sensitive and an intense nationalist political party.  Therefore, let them come forward and form a popular Government in Bihar.  There is President’s rule now there and this House has met today to discuss the Budget of Bihar.  I have no quarrel with the hon. Finance Minister on Bihar.  I can hardly blame him for the mess that we are in.  But I would like to only say this to him that he has the rest of India to practise his macro-economic policies on.  Bihar could do well with some micro-economic management[bru78] . What the Finance Minister perhaps needs to do is to have a Bihar Cell in his Ministry or in a couple of Ministries, at least while the President’s rule is there, to oversee what is happening in Bihar.  I would like to give you a few examples so that I can finish off early. The distance between my constituency, Purnea and Patna is 300 kms. Twenty years ago I used to travel this distance in four and half hours by car, but today it is taking over twelve hours by car and 24 hours by truck. Let me tell you that RJD’s rule is not to be blamed at all for this.  It is not Shri Lalu Prasad’s fault.  It is not the RJD’s fault.  This is a national highway.  You have the diesel cess of Rs. 1.50.  A truck has five gears.  The fifth gear is the most efficient gear.  Rarely do drivers plying through are able

* Not Recorded.

to move into the third gear, thereby using three times the amount of diesel that is required on an average.  Therefore, they are paying three times the cess on diesel for no fault of theirs, for just plying through Bihar, which is the only way to go to the North-East. They are paying you three times the cess.

Let us talk of rural connectivity.  So much is heard in your Budget about this.  I had a survey done in my constituency.    My constituency alone would need over Rs. 60 crore for bridges and small culverts for rural connectivity to be completed.  What is the kind of money that is available?  I am not even going into the Budgetary provisions because you must have done in a hurry.  There was hardly any time to do it.

Let me come to Indira Awas Yojana.  This is a programme that must be re-looked at.  In the last Budget, you have been magnanimous to allocate Rs. 2,000 crore for this programme.  This year you have provided Rs. 2,500 crore.  Adding State’s contribution, it would amount to Rs. 3,150 crore.  It means 12,50,000 Indira awases all over India.  These 12,50,000 awases are not enough to cover even four districts of Bihar.  My constituency alone, if we go by the BPL families, would need over 300,000 awases. I was telling Dr. Raghuvansh Prasad Singh that this is something where we are running and yet at the end of the day finding that we are standing in the same place.  It is because in the next year the number of BPL families eligible for awases would be back to where we are today.  Therefore, I do not know what we are doing.

Now, what we are doing is we are spreading a lot of disaffection through these schemes. In our villages, when the poor people read or when they hear or when they are told  that there is Indira Awas Yojana, Antyodaya Anna Yojana, and Annapurna schemes for you, they feel that the Union Finance Minister has given them something.    But the amount given is so minimal that nothing reaches them.  … (Interruptions)

श्री लालू प्रसाद : वित्त मंत्री जी थके हुए हैं और सदस्य भी थके हुए हैं। आप जो बोलना चाहते हैं, जल्दी बोल लीजिए।

सभापति महोदय :  आप जल्दी खत्म कीजिए।

श्री उदय सिंह : महोदय, मैं जल्दी खत्म कर दूंगा ।

In a nutshell, I would like to tell the Finance Minister that we are looking at this spell of President’s rule as an occasion to somehow crawl back and be able to see the progressive India that has left us far behind.  I leave it to his wisdom to do his best for the State of Bihar and to see that in the next couple of months we will be able to get somewhere that we missed so far.

 

श्री राम कृपाल यादव (पटना) : महोदय, मैं आपके प्रति आभार प्रकट करता हूँ कि आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया है। नीतीश कुमार जी चले गए हैं, लेकिन उनके एनडीए के सहयोगी बैठे हैं। लम्बी-चौड़ी बातें कर रहे थे। मैं बत ना चाहता हूँ कि एनडीए की सरकार ने…( व्यवधान)

श्री उदय सिंह : बिहार के लिए साथ में लड़ लेते हैं।…( व्यवधान)

श्री राम कृपाल यादव : महोदय, एनडीए की सरकार ने बिहार के साथ कितना न्याय किया है मैं यह बताना चाहता हूँ। [MSOffice79] [MSOffice80]  इनकी सरकार सन् १९९८ में बनी जो सन् २००४ तक रही। जो महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, जिनके तहत गांव और गरीबों का विकास हो सकता है, मैं उनकी तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत इंदिरा आवास योजना आती है। इंदिरा आवास योजना और सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत पानी आदि कई ऐसी चीजें हैं जिन पर मात्र १८०० करोड़ रुपये की कटौती की गई। …( व्यवधान)  कृषि विभाग में छ: वर्षों के दौरान ६०० करोड़ रुपये बिहार का हिस्सा था, लेकिन उसे केवल ६० करोड़ रुपये मिला। यह न्याय एनडीए सरकार ने बिहार के साथ किया। ग्रामीण विद्युतीकरण देश की बेसिक समस्या है। श्री नीतीश कुमार बहुत लम्बा-चौड़ा भाषण दे रहे थे। सुशील मोदी जी चले गए। मैं बताना चाहता हूं कि एनडीए के कार्यकाल में देशभर में ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए दस हजार करोड़ रुपये दिये गए जबकि बिहार को एक पैसा भी नहीं दिया गया। बिहार की बाढ़ और सुखाड़ के बारे में श्री रघुनाथ झा ने विस्तार से चर्चा की। कई अन्य माननीय सदस्यों के माध्यम से भी उसकी चर्चा की गई। बाढ़, सुखाड़ और जल जमाव, जो हमारी मूल समस्या है, उससे सिर्फ उत्तर बिहार में एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो जाता है। कटाव पीड़ितों के लिए, बाढ़, सुखाड़ एवं जल जमाव की समस्या से निपटने के लिए हमें एक रुपया भी देने का काम नहीं किया गया। …( व्यवधान)

श्री लालू प्रसाद : बिहार के साथ शुरू से जो भेदभाव हुआ, वह बताइये। …( व्यवधान)

श्री राम कृपाल यादव : मैं वह भी बता रहा हूं। सारे नैशनल हाईवे, जो मात्र ३४ किलोमीटर है, हमें कोई पैसा नहीं मिला। हमें ७०० किलोमीटर में पैसा मिलना चाहिए था लेकिन एक पैसा नहीं दिया गया।…( व्यवधान)

श्री लालू प्रसाद : बाढ़ के स्थायी समाधान के बारे में बताइये। …( व्यवधान)

श्री राम कृपाल यादव : मैं बताना चाहता हूं कि बिहार की उपेक्षा आजादी के बाद से ही हुई। सब लोगों ने बिहार का शोषण करने का काम किया। आज तक बिहार को उसका हक नहीं मिला। हम आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। …( व्यवधान)

सभापति महोदय :  अब आप कनक्लूड कीजिए।

श्री राम कृपाल यादव : बिहार का सीडी रेशियो, जो रिजर्व बैंक की गाइडलाइन्स के अनुसार ३३ प्रतिशत होना चाहिए, वह मात्र १५ प्रतिशत है। आप उसे बढ़ाने का काम करें। बिहार की प्रति व्यक्ति आमदनी के बारे में माननीय झा जी ने बताया। आप कैसे कहते हैं कि बिहार आगे बढ़ेगा। आप बिहार को उसका हक नहीं देना चाहते। आप बिहार के साथ सिर्फ न्याय कीजिए और बिहार को छलांग लगाने का काम कीजिए। बिहार को देश के दूसरे प्रदेशों के मुकाबले में लाने का काम करें।

यहां राष्ट्रपति शासन के बारे मे बात की गयी। हमारे १५ साल के शासन के विषय में कहा जा रहा है। मोदी जी बता रहे थे कि बिहार में अमन-चैन हो गया है। मैं आपकी इजाजत से उद्धृत करना चाहता हूं कि दैनिक हिन्दुस्तान में छपा है–पैसा दो, नहीं तो जान दो। …( व्यवधान)

सभापति महोदय :   राम कृपाल यादव जी, आप कनक्लूड कीजिए।

श्री राम कृपाल यादव : हमारे पटना संसदीय क्षेत्र में अपराधियों द्वारा करीब सात डाक्टरों को चिट्ठी दी गयी, धमकी दी गयी और यहां कहा जा रहा है कि वहां अमन चैन है। राष्ट्रपति शासन कोई विकल्प नहीं है। …( व्यवधान)   सिर्फ चुनाव मे ही लोग नजर आते थे और कहीं इनका अता-पता ही नहीं था। जानबूझकर मुख्य मंत्री राबड़ी देवी को बदनाम करने की साजिश की गयी। हम आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि अगर बिहार का हित करना चाहते हैं तो बिहार के साथ न्याय कीजिए। बिहार को स्पेशल पैकेज दीजिए। आप पंजाब का कर्ज माफ कर सकते हैं, जम्मू कश्मीर को विशेष पैकेज दे सकते हैं, उत्तरांचल और झारखंड को दे सकते हैं तो बिहार को क्यों नहीं दे सकते। क्या बिहार देश का भाग नहीं है?   क्या बिहार के साथ न्याय नहीं होगा? वित्त मंत्री जी, मुझे विश्वास है कि आप निश्चित तौर पर बिहार के साथ न्याय करेंगे और बिहार को विशेष पैकेज देकर उसकी जो हकमारी हुई है, उसके साथ न्याय करके बिहार के गरीबों का उत्थान करेंगे। आप इंदिरा आवास के तहत पैसा देंगे। बिहार की जो सबसे बड़ी जल जमाव की समस्या है, उसके लिए पैसा देने का काम करेंगे। …( व्यवधान)

MR. CHAIRMAN : Please take your seat.

… (Interruptions)

श्री राम कृपाल यादव : जो पैसा दिया गया है, उससे बिहार के लोग संतुष्ट नहीं हैं। …( व्यवधान)

MR. CHAIRMAN : Please take your seat. Nothing will go on record now.

(Interruptions) …*

MR. CHAIRMAN : Nothing will go on record. Hon. Finance Minister to give reply.

(Interruptions) …*

MR. CHAIRMAN: Shri Yadav, please take your seat. Nothing will go on record except the Finance Minister’s speech. Now, I am calling the hon. Finance Minister.

(Interruptions) …*

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

* Not Recorded.

THE MINISTER OF FINANCE (SHRI P. CHIDAMBARAM):  Mr. Chairman, Sir, this debate ordinarily should have taken place in the Legislative Assembly of Bihar. Unfortunately, the elections in Bihar did not throw up a clear mandate and that is why we are here.  I can understand the concern and anguish of the hon. Members from Bihar. But the answer does not lie in this House. The answer lies in Bihar. The answer lies in how the political parties relate to each other. The answer lies in how the political parties convince the people of Bihar that they have the capacity and the wisdom to provide a good Government in Bihar.

The UPA Government today is simply a caretaker Government. President’s Rule is not a panacea for the ills of Bihar. President’s Rule is, by definition, a temporary and a short-term measure until the political situation in Bihar crystallises in a manner that a popular Government can be installed in Bihar.

I am here, before you, purely as an interim arrangement to carry on the work of the Government of Bihar. We ask for a Vote-on-Account for five months. But  I will be the happiest man if this arrangement can be  terminated in a month or two and a Government will be installed in Bihar. In the meanwhile,  of course, we will do our best. All this passion, all this outrage and all the sense of anguish in a sense is really wasted in this House. I urge the hon. Members that these emotions   must  be converted into wisdom, cooperation and good governance in Bihar. I hope that the Members of all parties will rise to the challenge and will work together to provide a Government in Bihar in the near future.

It may appear that money is a problem. Money is always a problem. Money is a problem for any Finance Minister – whether it is that of the country or of any State. I do not think money was the  sole problem in Bihar. The Revised Estimates for the current year 2004-05 place the States tax and non-tax revenue at Rs.3789 crore which is a decline from the Budget Estimate. However, the State’s share of Central taxes, duties and grants-in-aid from the Government of India increased from Rs.11,958 crore in the Budget Estimate to Rs.13,006 crore in the Revised Estimate.  The Government of India gave more money than what was budgeted for but the States own revenue declined. Similarly, on the Revenue Account, although the Budget Estimated Revenue Expenditure was Rs.16,341 crore, actually Rs.17,137 crore was in fact spent. On the Capital Account, the revenue was estimated as Rs.7534 crore but actually they realised Rs.8475 crore. Therefore, in the current year, there has been more money from the Centre, more grants from the Centre, more devolution of taxes from the Centre and more receipts from the Capital Account. The question really is how does this outlay convert to outcomes in Bihar[R81] . In the  year 2005-2006, revenue receipts are estimated at Rs. 18,719 crore.  So, there is an increase of Rs. 1,923 crore over the revised estimate for the current year.  Again, State’s revenues are estimated at Rs. 4,290 crore.  There is an increase of Rs. 500 crore over the revised estimate of the current year.  State’s share of Central Taxes, duties and grants-in-aid are Rs. 14,429 crore. There is an increase of Rs. 1,422 crore over the revised estimate of the current year.  On the capital account, receipts are placed at Rs. 7,100 crore. Therefore, I believe that enough money is available.  If necessary, more money can be made available.

Sir, it is not correct to say that we did not carry out the promise that we made last year. A lot of energy has been expended on discussing what the Rashtriya Sam Vikas Yojana did during the NDA Government and during the UPA Government.  What are the facts?  The Rashtriya Sam Vikas Yojana was announced in the year 2002-2003.  In that year, the NDA Government gave to Bihar, under that Scheme, only Rs. 18.40 lakh,  not even Rs. 18.40 crore.  It is only Rs. 18.40 lakh which, Sir, my good friend Shri Nitish Kumarji is saying.

In 2003-2004, under Rashtriya Sam Vikas Yojana, Rs. 445.75 crore was released to Bihar.  When we came to office, I said that under the NCMP promises for Bihar, Jammu and Kashmir and North-East, a provision of Rs. 3,225 crore is being made for the present and, if necessary, this sum will be augmented.  This announcement was made on the 8th July, 2004, only about nine months ago, not even one year has been completed after this announcement. After this announcement, seven projects worth Rs. 2,531.35 crore have been identified for implementation during the 10th Plan period.  On the date, when  the ATR  was presented,  a sum of Rs. 621.56 crore was released.  As on date, Rs. 756.37 crore has been released.  This Rs. 756.37 crore is 29 per cent for Bihar out of the total amount of Rs. 2,581.37 crore.

17.37 hrs.                  (Mr. Deputy-Speaker in the Chair )

I have repeatedly told hon. Members from Bihar, who met me, that it is for the Government of Bihar to prepare projects, and present them for approval.  Money cannot be released, under the system that we have, unless there are projects, which are prepared, cleared and submitted for approval.  The Planning Commission has repeatedly asked them to submit projects, we will examine the projects, and once we grant approval, money will be released.  I say the same thing today.  Bihar is under the President’s Rule.  Now, between the Planning Commission and the Ministry of Finance; we will do our best to ensure that projects are properly prepared and submitted to the Government of India, and when those projects are cleared, money will be released – money is not a constraint – for taking care of the problems of Bihar.

Sir, Shri Nitish Kumar asked me about the new schemes that we started in the year 2004-2005. It is as if that 2004-2005 was a ten-year period.  As far as we are concerned, 2004-2005 started on 8th of July only, and we are only on the 14th March, 2005.  New schemes have been started in Bihar for rural electrification. The Mid-Day Meal Scheme etc. are all schemes that are started afresh  in 2004-2005[c82] .

I have a whole list of schemes for the power and energy sector, rural electrification in North Bihar and South Bihar, drainage in urban areas, etc. In 2004-05, 18 schemes for drainage  have been identified with on outley of Rs. 1.27 crore, but in the next year we are going to spend Rs. 42 crore on those schemes. Then, on flood control, Rs.95.53 crore worth of schemes have been identified in 2004-05, but in the next year, Rs. 102 crore is going to be spent.

Sir, let us also remember that Bihar has received the special attention of the 12th Finance Commission. In the 11th Finance Commission, in the five-year period, Bihar got a State share of Rs. 35,353 crore from the shareable pool. Then, it got grants under various heads. I have just done a quick calculation. According to that, throughout the five-year period, under the 11th Finance Commission, Bihar got Rs. 36,607 crore. Under the 12th Finance Commission, Bihar will get Rs. 75,646  crore. This includes two special components. Bihar is one of the seven States and one of the eight States which have been identified for special grants under health and education respectively. This is what I mentioned in my Budget speech. Only seven and eight States respectively have been identified for special grants under health and education. Bihar is among those States and that is why Bihar will get a large amount of money under the 12th Finance Commission and the total that they will get over a five-year period from the Government of India is Rs. 75,646 crore. Added to this are the State’s own resources and State’s own revenues.

I think, Sir, if all the leaders of Bihar put their heads together, like they are united today in making a demand upon the UPA Government, and work together to provide a good Government in Bihar, why should not Bihar rise among the better governed and more prosperous States of India? It is possible. You have done it in Punjab. There are political rivalries in Punjab, but Punjab today is a prosperous State with poverty ratio less than three per cent.

MR. DEPUTY-SPEAKER: But the education is very poor. There are not enough teachers in schools.

SHRI P. CHIDAMBARAM: Therefore, you must pay attention to education now.

Kerala is a 100 per cent literate State, but not as prosperous as Punjab. They must pay attention to industrialisation. Each State must pay attention to its own problems and, I think, with what the 12th Finance Commission has done and with Rs. 5,000 crore that we have announced for the Backward Regions Grant, over five years it will be Rs. 25,000 crore.

Shri Nitish Kumar asked me as to what is the transition arrangement. There is nothing secret about it. For the Backward Regions Grant, the Planning Commission has identified 170 districts. Some of the districts of Rashtriya Sam Vikas Yojana do not come under the 170 districts, but Rashtriya Sam Vikas Yojana itself is only up to 2006-07. So, the districts which are not governed by Backward Regions Grant will be taken care of until 2006-07. In the meanwhile, the Backward Regions Grant Fund will kick in and that money, at Rs. 5,000 crore a year, of Rs. 25,000 crore will be available during this five-year period and, therefore, money is available. All that we need is good governance, good projects, approval for the projects, careful execution without wastage and leakage so that at the end of the year we are able to say that we spent ‘x’ thousand crores of rupees, here are the development outcomes in terms of roads, in terms of irrigation projects, in terms of schools, in terms of buildings, in terms of whatever.

I am sure, Sir, if the leaders of Bihar put their heads together, it will be possible for them to find ways in which Bihar can get a good Government over a period of five years so that we can all look back at the end of five years and say, ‘yes, maybe in the past we made mistakes, but today we are providing good governance’. But it is entirely in the hands of the political parties and the leaders of Bihar. We, here, can only help. We are willing to help, but they must get together and provide a good Government in Bihar. I sincerely hope that this arrangement will be an interim, short-term arrangement, but there will soon be a popular Government in Bihar. With these words, I request that the Vote on Account be passed.

 

श्री प्रभुनाथ सिंह (महाराजगंज, बिहार) : उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात पर माननीय वित्त मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि जिस समय बिहार का बंटवारा हुआ था, उससे सम्बन्धित बिल के पेज संख्या-४५ के पैरा-तीन पर बिल्कुल साफ लिखा हुआ था।[cmc83]  [cmc84]  बिहार जो बंटा हुआ है, बाकी बिहार के लिए योजना आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी। उस कमेटी को निर्णय करना था कि बिहार के लिए विस्तार से क्या कर रहे हैं। आज बिहार का बजट पास होने जा रहा है, संयोग से आप भारत सरकार के वित्त मंत्री हैं, हमने कई सवाल बिहार के बारे में उठाए हैं। बिहार उन आठ राज्यों में एक है, जहां स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए आपने कहा। लेकिन अलग से बिहार के लिए आपने क्या किया, यह बताना चाहिए ?

SHRI P. CHIDAMBARAM: He was not here when I  said that on education, the Twelfth Finance Commission has given only to eight States and Bihar is being given Rs.2,683 crore, which is 26 per cent of the total amount given to eight States.  Similarly, on health, it is given only to seven States and Bihar is one among the seven States, which is being given Rs.1,819 crore, which is 31 per cent of the total amount given to all the seven States.

MR. DEPUTY-SPEAKER: I shall now put the Demands for Grants on Account (Bihar) for the year 2005-06 to vote.

The question is:

“That the respective sums not exceeding the amounts on Revenue Account and Capital Account shown in the third column of the Order Paper, be granted to the President, out of the Consolidated Fund of the State of Bihar, on account, for or towards defraying the charges during the year ending on the 31st day of March, 2006, in respect of heads of demands entered in the second column thereof against Demand Nos. 1 to 4, 6 to 12, 15 to 27, 29 to 33 and 35 to 52.”

 

The motion was adopted.

 

                                                              ________

MR. DEPUTY-SPEAKER: I shall now put the Supplementary Demands for Grants (Bihar) for 2004-05 to vote.

The question is:

“That the respective supplementary sums not exceeding the amounts on Revenue Account and Capital Account shown in the third column of the Order Paper be granted to the President out of the Consolidated Fund of the State of Bihar to defray the charges that will come in course of payment during the year ending the 31st day of March, 2005, in respect of heads of demands entered in the second column thereof against Demand Nos. 1 to 4, 9, 10, 12, 18, 20 to 24, 26, 27, 30, 33, 36 to 46 and 48 to 52.”

 

The motion was adopted.

 

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