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Title: Delay in giving permission to investigating agencies for prosecution.
श्री हर्ष वर्धन (महाराजगंज, उ.प्र.): सभापति महोदय, सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी और जवाबदेही की अवधारणा नष्ट हो रही है, उसके चलते भ्रष्टाचार बुरी तरह से पनप रहा है। आज भ्रष्टाचार की गर्त में देश की सुरक्षा से लेकर विकास योजनाएं आ गई हैं। वास्तव में आज भ्रष्टाचार गंभीर राष्ट्रीय समस्या बन चुका है। समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की जाती है, वह काफी कम है। जांच एजेंसियों द्वारा जांच के बाद अभियोजन की अनुमति मांगी जाती है। मेरी सुनिश्चित जानकारी के अनुसार 2007, 2008 और 2009 पिछले तीन सालों में जो अनुमतियां मांगी गई थी, उनमें 50 से अधिक मामलों में आज भी निर्णय लंबित है। इसके चलते कम से कम सौ से ऊपर सेवकों के विरुद्ध कार्यवाही संभव नहीं हो पा रही है। यह स्थिति अत्यंत गंभीर और चिंताजनक है। इस स्थिति से भ्रष्टाचारियों को तात्कालिक रूप से राहत मिलती है। केंद्रीय संस्था आयोग, सैंट्रल विजिलेंस कमीशन ने निर्देश जारी किया है कि अभियोजन की अनुमति मांगी जाए और अगले तीन माह के अंदर निर्णय लिया जाए। लेकिन ऐसा न करके तीन वर्षों से मामले लंबित हैं जिसके कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। इससे सरकार की सुशासन की पारदर्शिता की मंशा खंडित हो रही है। ऐसी दशा में अभियोजन से संबंधित मामलों में असमान विलंब सरकार के सुशासन की पारदर्शिता को प्रभावित कर रहा है। मेरी अपील है कि जांच एजेंसियों द्वारा भ्रष्ट लोक सेवकों के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति मांगी जा रही है, सरकार इस संबंध में विलंब करने के स्थान पर तात्कालिक रूप से निर्णय दे ताकि भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लग सके।