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Title : Difficulties arising out of shortage of coal in Thermal Power Stations of Bihar.
श्री विश्व मोहन कुमार (सुपौल): माननीय अध्यक्ष महोदया, जब बिहार से झारखंड अलग हुआ था तब कलकारखाने झारखंड में चले गए। नेशनल थर्मल पावर झारखंड में चले जाने से यहां मात्र बरौनी बच गया है। बिहार के सारे थर्मल पावर स्टेशन कोयले से चलते हैं, यहां हाइड्रो पावर नहीं है। मैं आपके माध्यम से मांग करता हूं यहां जितने कोयले से संचालित थर्मल पावर स्टेशन हैं, इनके लिए कोयले का आबंटन बढ़ाया जाए। चूंकि कोयले का आबंटन केंद्र सरकार द्वारा होता है इसलिए केंद्र सरकार के कोयले के आबंटन नहीं बढ़ाने से थर्मल पावर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और बिजली उत्पादन नहीं हो पाता है।[r5]
इसलिए मैं सरकार से मांग करता हूं कि थर्मल पावर के लिए कोयले का आबंटन बढ़ाया जाए। खासकर बिहार में कोयले का आबंटन बढ़ाने से वहां बिजली उत्पादन अच्छा होगा।
अध्यक्ष महोदया : श्री वीरेन्द्र कश्यप – उपस्थित नहीं।