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Title: Need to address the problems of people displaced due to Pong dam Project-Laid.
श्री अर्जुन राम मेघवाल (बीकानेर): पोंग बाँध विस्थापितों को राजस्थान में भूमि आवंटन हेतु वर्ष 1972 में नियम बनाकर भूमि का आवंटन किया गया था। पोंग बाँध विस्थापितों द्वारा उन आवंटित जमीनों को आवंटन तिथि के 20 वर्ष पूर्ण होने से पहले राजस्थान प्रदेश के निवासियों को अवैधानिक रूप से विक्रय कर दिया गया। इन अवैधानिक हस्तान्तरणों को विनियमित किये जाने हेतु राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 1992 में नियम 6ए बनाया गया। इस नियम के तहत लगभग 2000मुरब्बों का विनियमितीकरण कर लगभग 3 लाख रूपये प्रति मुरब्बा 6(ए) के तहत आवंटियों से वसूल किया गया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1996 में नियम 6(ए) को गैर कानूनी मानते हुए खारिज कर दिया तथा इन विनियमितिकरण प्रकरणों के पुनरार्वलोकन हेतु विशिष्ट न्यायालय स्थापित करने के निर्देश प्रदान किये गये। इसमें हाई पावर कमेटी नामिनेट की गई, जिसके अध्यक्ष जल संसाधन सचित भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश व राजस्थान के राजस्व सचिव सदस्य मनोनीत किये गये। विशिष्ठ न्यायालय द्वारा श्रीगंगानगर में कुल 1926 प्रकरणों की जाँच की गई। न्यायिक निर्णयों की पालना में 468प्रकरणों में कब्जा पुनः मूल पोंग बाँध विस्थापित आवंटी को दिलाया जाना एवं राजस्थान प्रदेश के निवासी को बेदखल किया जाना था। कब्जा प्राप्त करने हेतु उपस्थित 436 पोंग बाँध विस्थापितों को पुनः कब्जा दिलवाया जा चुका है। न्यायिक निर्णयों की पालना में 1188प्रकरणों में भूमि पुनः राज्य सरकार को प्रत्यावर्तित की जा चुकी है। 270 प्रकरण संबंधित श्रीमान उप-जिला कलेक्टरों के पास विचाराधीन है। राजस्थान सरकार द्वारा अब तक सभी पत्र पोंग बाँध विस्थापितों के भूमि आवंटन प्रकरणों का निस्तारण किया जा चुका है। वर्ष 1981 में दोनों राज्य सरकारों के मध्य हुए समझौते के अनुसार 1559 प्रकरणों में अतिरिक्त भूमि आवंटन राजस्थान सरकार द्वारा इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना क्षेत्र द्वितीय चरण में कर दिया गया है। लगभग 3000प्रकरणों में भूमि आवंटन के आवेदन पत्र निर्धारित समयावधि में प्राप्त नहीं होने से राजस्थान सरकार द्वारा उन्हें नियमानुसार निरस्त कर दिया गया था। हिमाचल प्रदेश सरकार इन प्रकरणों में राजस्थान सरकार द्वारा सहानुभूति पूर्वक विचार कर उदार रवैया अपनाते हुए भूमि आवंटन की अपेक्षा कर रही है। राजस्थान सरकार द्वारा 2006में मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन कर जुलाई 2006में शिमला में उप समिति की बैठक हुई। अगस्त 2006में उपरोक्त मंत्रीमंडलीय उपसमिति की बैठक दिल्ली में बुलाई गई। जुलाई 2008 में शिमला में भी बैठक कर यह समझौता किया गया कि 2946मुरब्बा भूमि पोंग बॉध विस्थापितों को इन्दिरा गॉधी नहर के द्वितीय चरण में आवंटन किया जाएगा एवं सर्पोच्च न्यायालय के फैसले मुतबिक 118+270प्रकरणों पर हिमाचल सरकार एवं पोंग बाँध विस्थापित समिति अपना अधिकार छोड़ देंगे। सितम्बर2008में हाई पावर कमेटी की मिटींग दिल्ली में हुई, जिसमें हिमाचल के राजस्व सचिव द्वारा 1188 प्रकरणों पर अपना राईट छोड़कर द्वितीय चरण में भूमि लेना स्वीकार किया। अतः केन्द्र सरकार इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर बहुत वर्षों से लम्बित प्रकरण पोंग बाँध विस्थापितों की समस्याओं को निवारण कराएं।