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Title : Need to bring back the black money deposited by Indians in foreign banks abroad.
श्री महेन्द्रसिंह पी. चौहाण (साबरकांठा): अभी वॉशिंगटन अमेरिका स्थित एक संस्था ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी ने एक रिपोर्ट में बताया है कि सन् 1948 से 2008 तक साठ सालों में, विश्लेषण करने से पता लगा है कि गलत तरीके से लेन देन किये जाने से भ्रष्टाचार एवं कर चोरी के माध्यम से भारत देश को 462 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। 1991 के बाद भारत ने आर्थिक क्षेत्र में प्रगति जरूरी की है लेकिन भ्रष्टाचार एवं अपराधिक गतिविधियों के कारण काले धन की मात्रा भी बढ़ी है और वो काला धन विदेशी बैंकों में जमा करवाया गया है। विदेशी बैंकों में भारत के निजी क्षेत्र की जमा पूंजी 1995 में 36.4 प्रतिशत थी, जो 2009 के साल में बढ़कर 59.2 प्रतिशत हो गई, जो चिंताजनक है।
अकेले स्विटजरलैन्ड की बात करें तो एक अनुमान के अनुसार स्विस बैंक में कुल जमा भारतीय काला धन 1500 बिलियन डॉलर यानि 66000 अरब रूपया है और यह रकम बढ़ रही है।
भारत का विदेशों में जमा काला धन अगर भारत में वापस लाया जाता तो केवल थोड़े ही समय में देश की कायापलट हो सकती है। गरीबों का जीवन स्तर सुधरेगा। साथ में विदेशों का सरकारी कर्ज भी समाप्त हो जायेगा।
मेरी मांग है कि विदेशों में स्थित भारतीय काले धन को देश में वापस लाया जाये और संबंधित अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये। जरूरत पड़ने पर अंतर्राष्ट्रीय कानून में सुधार किया जाये।