Title : Need to declare the entire hilly area of Uttaranchal as drought prone and to provide food, fodder and potable water to the affected people in the State.
श्री बची सिंह रावत ‘बचदा’ (अल्मोड़ा) : माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं कल ही अपने क्षेत्र का दौरा करके आया हूं। उत्तरांचल के पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई के साधन नहीं हैं और वर्षा के जल रुाोतों पर ही वहां की खेती निर्भर करती है। सितम्बर २००५ से २१ फरवरी तक वहां कोई वर्षा नहीं हुई। इससे पेयजल के रुाोत सूख गए हैं और सिंचाई के साधन नहीं बचे। दिसम्बर और जनवरी की बरसात भी नहीं होने से सारी फसल समाप्त हो गई है। पशुओं के लिए चारा उपलब्ध नहीं है और पेयजल भी वर्षा पर निर्भर होने के कारण उपलब्ध नहीं है। पहले ही लोग महंगाई से त्रस्त हैं[h71] ।सूखा राहत का कार्यक्रम सर्वे कराने के बाद तत्काल शुरू नहीं किया गया है। लोगों के लिए सूखा राहत, पेयजल और पशुओं के लिए चारे की तीनों व्यवस्थाओं काह सरकार से आग्रह करने के बावजूद न सर्वेक्षण हुआ और न उस दिशा में सरकार की कोई नीति बनी। मेरा इतना कहना है कि “औसत पूरा ज्यों का त्यों, फिर भी कुनबा डूबा क्यों” – वही परिस्थिति बन रही है। चारों तरफ सैंसेक्स बढ़ रहा है, लेकिन हमारे यहां सूखे से, महंगाई से, पेयजल की कमी से, पशुओं के चारे की कमी से लोग त्रस्त हैं। मेरी सरकार से मांग है कि तत्काल इसका संज्ञान ले और पूरे पर्वतीय क्षेत्रों का, उतरांचल तथा इससे लगा हुआ हिमालय का जो दूसरा क्षेत्र है, उनकी ओर ध्यान दे।