Title: Need to enhance quota of Foodgrains to Maharashtra State.
श्री विट्ठल तुपे (पुणे): सभापति महोदय, लक्षय निर्धारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू होने से पहले महाराष्ट्र सरकार को केन्द्र सरकार के द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत तकरीबन १.५० लाख मीटि्रक टन खाद्यान्न उपलब्ध होता था किन्तु नई व्यवस्था के लागू होते ही केन्द्र सरकार ने इस मासिक कोटे को घटाकर १.२५ लाख मीटि्रक टन कर दिया जिसमें से ६०,००० मीटि्रक टन केवल गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों के लिए रखा गया। केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार का कोटा पिछले १० वषर्ों के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत प्राप्त किए कुल खाद्यान्न के औसत के बराबर कर दिया। जैसा कि वदित है कि पिछले कई वषर्ों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली और खुले बाजार की कीमतों में कोई खास अन्तर नहीं था जिसके कारण राज्य सरकार ने वितरण प्रणाली के लिए अधिक मात्रा में खाद्यान्न नहीं उठाया लेकिन केन्द्र सरकार ने उसी को आबंटन का माध्यम बनाया जो कि आज लोगों की आवश्यकता की पूर्ित नहीं करता। महोदय, राज्य सरकार के बार-बार आग्रह करने पर केन्द्र सरकार ने दिसम्बर १९९७ में लगभग १०,००० मी. टन चावल एवं १५,००० मी. टन गेहूं का अतरिकत आबंटन किया। इसके पश्चात् फिर जनवरी, फरवरी एवं मार्च में भी लगभग ५०,००० मी. टन गेहूं एवं १०,००० मी. टन चावल का अतरिकत आबंटन किया तब जाकर लोगों को सुचारू रूप से खाद्यान्न प्राप्त हो सका। अत: मेरा अनुरोध है कि इस अतरिकत आबंटन को हमेशा के लिए नियमित कर दिया जाए ताकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीब लोगों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद्यान्न प्राप्त हो सके।