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Title: Need to include all the historically important ponds in Tikamgarh, Madhya Pradesh and Rajasthan in the National Lake Conservation Scheme for their proper upkeep.
श्री वीरेन्द्र कुमार (टीकमगढ़): उपाध्यक्ष महोदय, देश के कई राज्यों में पिछले पाँच-छः वर्षों से वर्षा की स्थिति काफी अनियमित बनी हुई है। इसके कारण कहीं बाढ़ आ जाती है और कहीं सूखा पड़ जाता है। मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड भी पिछले पाँच-छः वर्षों से वर्षा की अनिमयमितता के कारण काफी संकट का सामना कर रहा है। मेरे संसदीय क्षेत्र टीकमगढ़ छतरपुर में इस साल फिर बारिश कम होने के कारण नदियों में और तालाबों में पानी बहुत कम पहुँचा है। ज़मीन का जल स्तर नीचे चला गया है।
15.02 hrs. (Shri Franscisco Cosme Sardinha in the Chair)
इसके कारण मार्च के महीने में ही पेयजल का गंभीर संकट वहाँ उत्पन्न हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी बदतर हो गई है। जानवरों को पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। टीकमगढ़ क्षेत्र में चंदेलकालीन राज के समय के करीब 900 तालाब हैं जिनमें से लगभग 450 तालाब आज भी टीकमगढ़ जिले में हैं और इतनी ही बड़ी संख्या छतरपुर में भी है। हमारे नरेगा में जो तालाब बन रहे हैं, उनमें पानी नहीं रुक पाता है, लेकिन जो एतिहासिक महत्व रखने वाले पुराने तालाब हैं, उन तालाबों में आज भी पानी भरता है, लेकिन वर्षा कम होने के कारण उन तालाबों में इस बार पानी नहीं भर पाया है। अतः मेरा आपके माध्यम से केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि टीकमगढ़ और छतरपुर सहित मध्य प्रदेश और राजस्थान में जितने भी ऐसे ऐतिहासिक महत्व के तालाब हैं, उन सभी तालाबों को राष्ट्रीय झील संवर्द्धन योजना में शामिल करके उनका जीर्णोद्धार कराया जाए।