Title: Need to safeguard the interests of workers employed in Marble and granite industries in the country particularly in Rajasthan .
प्रो. रासासिंह रावत (अजमेर) : महोदय, केन्द्र के बिना शर्त आर्थिक उदारीकरण के तहत ७०० उत्पादों को खुले आयात निर्यात के लिए सूचीबद्ध किया है, जिसमें मार्बल व ग्रेनाइट भी शामिल है। इस नीति से राजस्थान का ५००० करोड़ रुपए की पूंजी के निवेश वाला मार्बल व ग्रेनाइट उद्योग चौपट हो जाएगा और लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। ३१ मार्च, २००० को घोषित आयात निर्यात नीति में चैप्टर ६८ के अंतर्गत मार्बल के आयात पर हटाए गए प्रतिबंधों के कारण राजस्थान के मार्बल उद्योग पर गंभीर संकट के बादल छा गए। भारत में उत्पादित मार्बल का ९० प्रतिशत से ज्यादा मार्बल राजस्थान में ही खनन एवं प्रोसेस किया जाता है। केन्द्र सरकार को प्रतिवर्ष २०० करोड़ रुपए की आयकर उत्पाद शुल्क आदि से आय होती है। राजस्थान सरकार को भी लगभग १०० करोड़ रुपए की आय बिक्रीकर एवं रॉयल्टी से होती है। राज्य के लाखों श्रमिक मार्बल की खानों तथा उससे संबंधित प्रोसेसिंग फैक्टि्रयों में कार्यरत हैं। राज्य के अधिकांश शहर, जैसे- किशनगढ़, राजसमन्द, कांकरोली, आबूरोड, जयपुर, अम्बाजी, अलवर, उदयपुर, मकराना, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, सिरोही आदि की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से इसी उद्योग पर आश्रित है।
अत: भारत सरकार से अनुरोध है कि मार्बल के आयात पर चैप्टर २५ के अंतर्गत वैल्यू कैप की पुनस्र्थापना कर वृद्धि की जाए। कैपिंग वैल्यू को कड़ाई से प्रभाव में लाया जाए तथा गैट के अनुच्छेद १९ के प्रावधान के अनुसार चैप्टर २५ एवं ६८ के अंतर्गत आने वाले आइटमों के आयात पर वर्तमान उत्पाद शुल्क के अतरिक्त A duty for safeguards/disadvantage quotient लगायी जानी चाहिए।
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15.48 hrs.