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Regarding Incidents Of Violence In Agra, Uttar Pradesh. on 30 August, 2007

Lok Sabha Debates
Regarding Incidents Of Violence In Agra, Uttar Pradesh. on 30 August, 2007


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Title: Regarding Incidents of violence in Agra, Uttar Pradesh.

अध्यक्ष महोदय :  हमने बोल दिया है। जहां तक आगरा की बात है,  That is another very unfortunate incident, but since the matter relates to Parliament also, I am allowing him to raise.  Shri Shailendra  Kumar. I will call all the members who have given notices.

श्री शैलेन्द्र कुमार (चायल)  :  अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाना चाहूंगा।   यह घटना परसों की है जब मुस्लिम समुदाय अपनी धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा हुआ शबे बारात, जो रात्रि में  इनका फंक्शन होता है, से लौट रहे थे, तो मोटर साईकिल पर तीन नवयुवक जा रहे थे। उस समय पूरा ट्रैफिक बंद था यानी ‘नो एंट्री’ थी, लेकिन पता नहीं कैसे एक ट्रक वहां आ गया। मेरे ख्याल से वह ड्राइवर नशे की हालत में था। उसने तीन नवयुवकों को अपने ट्रक से कुचल दिया। उन तीनों की मौके पर ही दर्दनाक मृत्यु हो गयी। उसके बाद जब लोगों ने ट्रक वाले को खदेड़ा, तो उसने आगे जाकर एक रिक्शे वाले को कुचल दिया जिस कारण वहां जबरदस्त तनाव उत्पन्न हो गया। ऐसी स्थिति में पुलिस को चाहिए था कि वहां पर पहुंचकर…( व्यवधान)

MR. SPEAKER: Don’t go into the details. This is a serious issue.  No running commentary, please.

                                             … (Interruptions)

श्री शैलेन्द्र कुमार   :  पुलिस को चाहिए था कि वहां पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करती, लेकिन …( व्यवधान) वहां काफी उग्र रूप हो गया। …( व्यवधान)

अध्यक्ष महोदय :   जिनका नाम लिस्ट में है, हम उन्हें बोलने के लिए बुलायेंगे।

श्री शैलेन्द्र कुमार  :  वहां इतना जबरदस्त दंगा हुआ कि 20 गाड़ियां तक जला दी गयीं। वहां स्थिति पुलिस के नियंत्रण में नहीं है। मैं चाहूंगा कि  आपके माध्यम से सरकार को इंगित किया जाये कि वहां छः थानों में कर्फ्यू लगा हुआ है। वहां स्थिति बहुत विस्फोटक है।[MSOffice17]  उस स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार इसके बारे में तत्काल कारगर कदम उठाए और वहां की पुलिस जो बर्बरतापूर्ण तरीके से अन्य लोगों को प्रताड़ित कर रही है, जेल भेज रही है, उसे रोका जाए और मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रूपए दिए जाएं।

श्री रामजीलाल सुमन (फ़िरोज़ाबाद) : महोदय, परसों 28 अगस्त को आगरा में शबे-बारात का कार्यक्रम था, जलसा होना था और जुलूस निकलना था। अब तक जब यह कार्यक्रम होता था तो एहतियात के तौर पर जलसे के स्थान पर ट्रैफिक के आने-जाने पर पाबन्दी लगा दी जाती थी, लेकिन इस बार प्रशासन ने वह एहतियात नहीं बरती, जिसके परिणामस्वरूप सुबह लगभग चार बजे एक ट्रक दुर्घटना में अकलियत के चार लोगों की मौत हो गयी। चार बजे से लेकर छः बजे तक पुलिस का एक सिपाही तक वहां नहीं पहुंचा, इससे लोगों का गुस्सा बढ़ता रहा।  जिस तरह से पहले इस त्योहार के मौके पर एहतियात बरती जाती थी, अगर उसी तरह इस बार भी एहतियात बरती जाती, तो आगरा में यह दुखद घटना नहीं होती। इसके लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। चार लोग ट्रक दुर्घटना में मारे गए, एक आदमी की मौत बाद में हुई और छः थाना क्षेत्रों में कर्फ्यु लगा हुआ है।  …*

MR. SPEAKER: No, that will not go on record.

(Interruptions)*

MR. SPEAKER: You only refer to this incident.

श्री रामजीलाल सुमन  : महोदय, आगरा में जो कुछ हुआ, वह प्रशासन की लापरवाही के चलते हुई, जिसकी जितनी निन्दा की जाए, कम है। भारत सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए और निश्चित रूप से वहां हस्तक्षेप करकेअमन-चैन का वातावरण बनाना चाहिए।…( व्यवधान)

MR. SPEAKER: You can only refer to the unfortunate incident that has taken place.

श्री रामजीलाल सुमन  : अध्यक्ष महोदय, माननीय गृहमंत्री जी को इसके बारे में बयान देना चाहिए। …( व्यवधान)

MR. SPEAKER: You are all very responsible Members.आप लोग पार्लियामेंट के बहुत पुराने मेम्बर हैं।

श्री संतोष गंगवार (बरेली) : महोदय, एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना आगरा में हुई और जो कुछ अखबार एवं टेलीविजन के माध्यम से देखा गया, उससे वास्तव में यह महसूस हुआ कि शायद व्यवस्था में कुछ कमी रह गयी थी। अगर वहां जुलूस निकल रहा था, तो उसकी देखभाल होनी चाहिए थी, जिससे वहां इस तरह की घटना नहीं होती।  …*

MR. SPEAKER: This will not go on record.

 

* Not recorded.

श्री संतोष गंगवार : महोदय, हम चाहते हैं कि वहां कानून-व्यवस्था दुरूस्त रहे। …( व्यवधान) महोदय, यह सच्चाई है। वहां कोई अकलियत है, ऐसा नहीं है।  …*  इसलिए मेरा आग्रह है कि आपकी ओर निर्देश दिया जाए और वहां कानून-व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए।

MR. SPEAKER: Prof. S.P. Singh Baghel        –        Not present

SHRI GURUDAS DASGUPTA (PANSKURA): Mr. Speaker, Sir, it is an extremely unfortunate incident. There was a festival of a particular community and after the festival was over, there was a truck accident. It was a road accident. The condition in the country has turned out to be such that an unfortunate road accident immediately gets transformed into a communal clash. That is the tragedy of the whole thing. There was Shab-e-Barat. At 4 o’clock in the morning there was an accident on the road and some people were killed in that accident. Since the people of a particular community were killed by the truck driver, the whole incident, which should have been considered to be a road accident, has been transformed into a communal clash. My honest concern is that this is how communal forces and all shades of fundamentalism are at work to make use of every simple incident to fan a clash in the country with an ulterior motive of destroying the secular environment of the country.

          So, I call upon the Government of India to properly advise the State Government of Uttar Pradesh to take stringent measures to curb the clash as it could have international significance because tourists are coming to have a look at Taj Mahal.[R18]   They are being debarred.  If this incident and situation continues, it is going to be a slur on the dignity of the country of India.  Therefore, that should be taken care of very seriously and I condemn the incident.

 

 

 

 

*Not recorded.

 

श्री राज बब्बर (आगरा): माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको और सदन को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं कि आज यहां सभी तरफ से आगरा की उस घटना की निंदा की जा रही है। मगर दुर्भाग्य इस बात का है कि उस घटना को साप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जबकि उसमें साप्रदायिकता का कहीं भी कोई पुट नहीं है। आगरा बहुत ही शांतिप्रिय शहर है, खासकर इस हादसे में किसी भी धर्म या जाति की बात नहीं है। बात बहुत मामूली सी हो सकती है, शायद उनके लिए जो साप्रदायिक रंग देना चाहते हैं। एक मां-बाप के चार बच्चे ट्रक के नीचे कुचले जाते हैं, बात यहां से शुरू होती है। वह ट्रक कैसे आया, इसकी भी जानकारी लेनी चाहिए। अक्सर ऐसा हमेशा होता रहा है कि शबे बारात हो या कांवड़ियों का आना-जाना हो, हमेशा सड़क पर पुलिस के इंतजाम रहते हैं। लेकिन शबे बारात वाले दिन जो पहले अक्सर होता था, सुबह सात बजे तक ट्रैफिक नहीं चलता था, नो एंट्री होती थी, लेकिन उस रात तीन बजे ही ट्रैफिक खोल दिया गया। इसके पीछे या तो भ्रष्टाचार है या बदनीयती है या इसके पीछे प्रशासन का लैक आफ एडमिनिस्ट्रेटिव एफीशियन्सी है। जिसकी वजह से वहां पर चार बच्चों की मृत्यु हुई। उसके बाद लोगों में रोष पैदा हुआ। रोष पैदा होने के बाद कुछ ऐसे लोग वहां इकट्ठा हुए, जिन्होंने उन परिजनों के गुस्से को और भड़काया। उस गुस्से की वजह से थाने में जाकर उस ट्रक को आग लगा दी गई। इस बात को देखना बहुत जरूरी है। बात यह नहीं है कि वहां साप्रदायिक दंगा हुआ, बात यह नहीं है कि वहां किसी एक समुदाय के लोग मरे, बात यह नहीं है कि दूसरे समुदाय के लोग सामने आए, बात यह हुई कि जिन मां-बाप के चार बच्चे मारे गए, तो सब लोग इकट्ठा हुए और ट्रक जला दिया गया, लेकिन पुलिस शांत बैठी रही। फिर दो ट्रक जले, लेकिन पुलिस शांत बैठी रही, फिर तीन ट्रक जले, लेकिन पुलिस शांत बैठी रही। वहां पर 20 ट्रक और गाड़ियां जला दी गईं। उसके बाद एम.जी. रोड पर ट्रक जलाने शुरू कर दिए, तो उनकी लपटों से वहां के घर और दुकानें भी जलना शुरू हो गईं। जब घरों और दुकानों का जलना शुरू हुआ तो उनमें रहने वालों ने फायर ब्रिगेड, दमकलों की मांग की। वे दमकलें घटना स्थल पर नहीं पहुंच पाईं, क्योंकि एक तरफ गुस्सैल भीड़ थी और दूसरी तरफ जिनके घर और दुकानें जल रही थीं, वे खड़े हो गए थे। इसके पीछे न कोई जात थी और न कोई धर्म था। घर वालों के घर जल रहे थे ट्रकों की लपटों से, गुस्सैल भीड़ ट्रक जला रही थी, जिसे आज साप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जबकि वहां कोई साप्रदायिकता नहीं थी। मैं यह कहना चाहता हूं कि जब सुबह चार बजे मेरे पास इस बारे में टेलीफोन आने शुरू हुए तो मैंने सात बजे मुख्य मंत्री आवास पर फोन मिलाने की कोशिश की। मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि पिछले कई सालों से मुख्यमंत्री निवासों का रिवाज बन गया है चुने हुए लोगों की बातों को न सुनना आज इस देश में पोलिटिकल मैनेजमेंट होना शुरू हो गया है। इसमें पोलिटिकल बाहर हो गई है और मैनेजर्स मैनेजमेंट चला रहे हैं। जब मैनेजर्स मैनेजमेंट चलाना शुरू करते हैं, तो उसका नतीजा यह होता है, क्योंकि नीचे हालत यह हो गई थी कि कोई व्यक्ति किसी की सुनने को तैयार नहीं था। मुझे अफसोस इस बात का है कि वहां जब पुलिस अधिकारी ने एक सिपाही से कहा कि आगे बढ़ो तो उसने कहा कि आगे बढ़ने पर मरना है क्या! जब इस तरह का पोलिटिकल मैनेजमेंट होता है, जब जात-बिरादरी, धर्म और नीचे-ऊपर के लोग तैनात किए जाते हैं तो उसका फल यह होता है कि जो आगरा आज दुनिया के अंदर एक अंतर्राष्ट्रीय महत्व रखता है, वह धू-धू कर जल उठा। मेरी आपसे विनती है महोदय, हम यहां पर न्यूक्लियर करार पर बात करते हैं। आने वाले 20 सालों की बात करते हैं कि क्या होगा, हमें यूरेनियम की क्वालिटी कैसे मिलेगी और कहां से वह मिलेगा। फिर उन 51 देशों की बात होती है, जहां से यूरेनियम मिलेगा। उसमें चार और भी देश हैं और हम आकलन करते हैं कि हमें नाइजीरिया से या अंगोला से यूरेनियम मिलेगा। लेकिन मैं कहता हूं कि जो घटिया से घटिया यह ईंधन इस देश में पनप रहा है, जात और बिरादरी के नाम पर पनप रहा है। …  *

MR. SPEAKER: Please do not refer to that.

श्री राज बब्बर : मैं इसलिए कह रहा हूं कि चाहे मंत्री हों या मुख्य मंत्री हों, सवाल उनका नहीं है। आज यहां पर आप इसे दर्ज कीजिए या नहीं कीजिए, लेकिन आज सदन को इस पर सोचना होगा।  ….  *

MR. SPEAKER: Do not refer to that.

श्री राज बब्बर : आज जरूरत इस बात की है कि क्या हम इस …*

MR. SPEAKER: Bring it to me.

          No, sorry, Mr. Raj Babbar.

श्री राज बब्बर : चाहे वह गुजरात में अहमदाबाद के अंदर हो, उसका नाम हसन हो, अगर वह मुख्य मंत्री की कार के सामने आ जाता है, उसका नाम हसन निकलता है, तो उसे पीटा जाता है।[R19]  चाहे वह गुहाना का दलित हो, उसकी पिटाई होती है। चाहे उसका नाम सलीम हो या कुछ और हो, उसको मोटर-साईकिल के पीछे घसीटा जाता है। जब तक यह पॉलिटिकल मैनेजमेंट रहेगा, ऐसा होता रहेगा तो नागरिक इन्सान नहीं जात-बिरादरी धर्म बनता रहेगा और घटिया ईंधन बन कर जलता रहेगा । मैं चाहता हूं कि यह सदन फैसला करे, पार्लियामेंट की एक कमेटी जाए और इस बात की समीक्षा करे। बीएसपी के सांसदों की अध्यक्षता में, बीजेपी के लोग जाए, समाजवादी पार्टी के लोग जाएं, कांग्रेस के लोग जाएं, सभी पार्टियों के लोग जाएं और इस पर एक निंदनीय प्रस्ताव पास होना चाहिए। हम यूरेनियम करार की बात कर रहे हैं, न्यूक्लीयर करार की बात कर रहे हैं, लेकिन ये जो जाति रूपी घटिया ईंधन से लोग पैदा किये जा

 

*Not recorded.

 

रहे हैं इस घटिया ईंधन को बंद करना होगा। चाहे दुकान जली हो पचौरी की या फैक्ट्री जली हो कलीम की, करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है। एक लाख रुपये या पांच लाख रुपये से इसकी भरपाई नहीं हो सकती है। इसलिए आज जरुरत इस बात की है कि सदन इस बात का फैसला करे कि दुकानें जिनकी जल जाती हैं, फैक्ट्रियां जिनकी जल जाती हैं वे लोग अपने पैरों पर, दुबारा अपनी जिंदगी में खड़े नहीं हो सकते हैं। यह सदन क्या यहां इसलिए बैठा है कि मेरी जात क्या है, मैं चुनाव जीतकर आऊं, मेरी बिरादरी क्या है, मैं मैनेजमेंट करूं। मैं क्षमा के साथ कहना चाहता हूं कि एक पार्लियामेंट्री कमेटी बनायी जाए, जो फैसला करे और सदन इस बात का फैसला करे कि किसकी गलती है, चाहे वह प्रदेश की गलती है या किसी और की गलती है तथा प्रदेश पूरे शहर को बचाने के लिए वहाँ की व्यवस्था को संवारने के लिए कितना पैसा देता है उसका फैसला करे।