Regarding Prime Minister’S Visit To Russia, Usa, Un And Uk And On The … on 20 November, 2001

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Lok Sabha Debates
Regarding Prime Minister’S Visit To Russia, Usa, Un And Uk And On The … on 20 November, 2001

Title: Regarding Prime Minister’s visit to Russia, USA, UN and UK and on the situation in Afghanistan.

१२.११ hrs.

प्रधान मंत्री (श्री अटल बिहारी वाजपेयी) : मैंने ४ से १३ नवम्बर, २००१ तक रूस, अमेरिका और ब्रिटेन का द्विपक्षीय दौरा किया और संयुक्त राष्ट्र महासभा के ५६वें सत्र को संबोधित किया। मैं महासभा से कुछ समय निकाल कर अर्जेन्टिना, साइप्रस और ईरान के राष्ट्रपतियों तथा मारिशस के प्रधान मंत्री से भी मिला।

इन दौरों और बैठकों में इन देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक और दीर्घकालीन एजेंडा पर ध्यान केन्द्रित किया गया। इनसे महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाने और अफगानिस्तान में युद्ध के बाद की चुनौतियों से निपटने पर विचार-विमर्श करने का भी मौका मिला।

रूस के मेरे शासकीय दौरे का उद्देश्य अक्तूबर, २००० में राष्ट्रपति पूतिन की भारत यात्रा के दौरान वार्षिक शिखर बैठकों के बारे में लिए गए द्विपक्षीय निर्णय को पूरा करना था।

रूसी नेताओं के साथ हुई मेरी बातचीत से हमारे भौगोलिक-स्ट्रेटेजिक द्ृष्टिकोण के औचित्य की पुष्टि हुई है और हमारी द्विपक्षीय स्ट्रेटेजिक भागीदारी सुद्ृढ़ हुई है। इनमें आर्थिक, वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकीय, रक्षा, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष सहयोग को आगे बढ़ाने की व्यापक गुंजाइश पर भी प्रकाश डाला गया।

इस दौरे के दौरान आतंकवाद पर मास्को घोषणा और हमारे द्विपक्षीय संयुक्त बयान जारी किए गए तथा कई समझौते हुए जिनसे हमारे भावी सहयोग की रूपरेखा तैयार हुई। हमने घनिष्ठ रक्षा सहयोग तथा परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की।

हमने अपने व्यापार में वविधता लाने के साथ-साथ द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के नए क्षेत्रों पर भी चर्चा की। हमें ऋण की रुपए में वापिस-अदायगी पर आधारित भारतीय निर्यात में प्रत्याशित कमी को पूरा करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी, आधारभूत ढांचे, औषधि और हीरा जैसे व्यापार के उभरते नए क्षेत्रों को सक्रिय रूप से विकसित करने की जरुरत है। इसके साथ-साथ चाय और तम्बाकू जैसी परम्परागत वस्तुओं के रूसी आयात को जारी रखा जाना चाहिये। हमने भारतीय उद्यमों में किए गये रूसी निवेश के लिए रूपए में अदायगी हेतु धनराशि रिलीज करने पर भी चर्चा की।

* (Also placed in Library. See No. 4197/2001)

हमने ऊर्जा सुरक्षा पर ठोस द्विपक्षीय बातचीत करने पर भी चर्चा की जिसकी हमें शीघ्र ही शुरू होने की आशा है। सखालिन परियोजना में भारत द्वारा किया गया निवेश इस क्षेत्र में हमारे सहयोग की शुरुआत का परिचायक है।

रूस के वभिन्न शहरों की शैक्षिक संस्थाओं में भारतीय अध्ययन की चार पीठों की स्थापना की गई है। गुजरात और अस्त्राखान क्षेत्र के बीच तथा हैदराबाद और कज़ान शहर के बीच भागीदारी के समझौते किए गए हैं। इन समझौतों से दोनों देशों के लोगों के मध्य आपसी संबंध, शैक्षिक तथा सांस्कृतिक सहयोग और मजबूत होंगे।

मार्च, २००० के बाद भारत और अमेरिका ने अपने संबंधों को घनिष्ठ बनाने के लिए व्यापक बातचीत की है। राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू. बुश के निमंत्रण पर मेरी वाशिंगटन यात्रा के दौरान दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में इस बातचीत की प्रक्रिया को सुद्ृढ़ बनाने पर बल दिया गया।

राष्ट्रपति बुश ने जोर देकर यह बात कही कि उनका प्रशासन हमारे द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक आधार पर सुद्ृढ करने के लिये प्रतिबद्ध है।

हमने द्विपक्षीय आर्थिक बातचीत को जारी रखने और उसे व्यापक बनाने तथा ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, जैव-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की। हम अंतरिक्ष कार्यक्रमों तथा नागरिक नाभिकीय सुरक्षा परियोजनाओं में सहयोग करने पर भी शीघ्र ही चर्चाएं शुरू करेंगे।

भारत-अमेरिकी रक्षा नीति दल को फिर से सक्रिय बनाया गया है और इस दल की दिसम्बर में बैठक होगी। हमने द्विपक्षीय उच्च प्रौद्योगिकीय व्यापार को प्रोत्साहित करने तथा दोहरे उपयोग वाले और सैन्य उपकरणों के हस्तांतरण की प्रकियाओं को सरल बनाने के तरीकों पर बातचीत करने पर सहमति व्यक्त की। आर्थिक और प्रौद्योगिकी प्रतिबंध हटने से इस प्रक्रिया में मदद मिलेगी।

मैंने अमेरिकी कांग्रेस के अनेक सदस्यों से व्यापक बातचीत की। मैं हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स और सीनेट के दोनो दलों के नेताओं, हाउस इंटरनेशनल रिलेशन्स कमेटी तथा सीनेट फोरेन रिलेशन्स कमेटी के सदस्यों से भी मिला। भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में द्विदलीय स्वरूप के समर्थन पर पुन: बल दिया गया।

इस यात्रा से भारत-अमेरिकी संबंधों में एक नई शक्ति का संचार हुआ है। द्विपक्षीय तथा व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में इनका विस्तार होने और वविधता लाने की बेहतर दीर्घकालीन संभावनाएं हैं।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने मेरे न्यूयॉर्क से दिल्ली लौटते समय मुझे एक दिन के शासकीय दौरे पर लंदन में रुकने के लिए आमंत्रित किया था।

प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और मैंने नई दिल्ली में अक्तूबर में उनके संक्षिप्त प्रवास के दौरान हुई अपनी बातचीत को जारी रखा। हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों के कई पहलुओं की समीक्षा की जिन में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इन चर्चाओं को जारी रखते हुए निकट भविष्य में उस समय विस्तारपूर्वक बातचीत होगी, जब प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर भारत के शासकीय दौरे पर आएंगे। हमें उम्मीद है कि उनका यह दौरा अगले साल जल्दी ही होगा।

मैंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए अपने भाषण में हम सभी के लिए चिंता के दो प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला था – अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से सभ्य समाज के लिए खतरा तथा समान विकास की चुनौती। लोकतांत्रिक और बहु-सांस्कृतिक विकासशील देशों में आतंकवाद तथा विकास एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं।

हमें अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्र द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की परिभाषा अथवा उसके मूल कारणों पर अस्पष्ट और निरर्थक तर्कों को नकारना होगा। ११ सितम्बर की घटना के बाद आतंकवाद के विरुद्ध बनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतक्रिया का सभी प्रकार के आतंकवाद को एकनिष्ठ होकर समाप्त करने के लिए लाभ उठाया जाना चाहिए।

विकासशील देशों को हाल में भूमंडलीकरण का उनके देश की गरीबी के स्तर और आय के अन्तर पर पड़ने वाले प्रभाव की कुछ कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ा है। दोहा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन के सम्मेलन से जो परिणाम सामने आए हैं, उनमें भी विकास पर विश्व वार्ता शुरु करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है। गरीबी उन्मूलन के लिए संसाधन जुटाने को इस वार्ता में उचित स्थान दिया जाना चाहिए। इसमें न केवल गुट निरपेक्ष आन्दोलन तथा समूह-७७ के देशों के आर्थिक एजेंडा को ही बल्कि उत्तर-दक्षिणी देशों के संबंधों को भी प्रमुखता दी जानी चाहिए।

मैंने अपनी समस्त द्विपक्षीय चर्चाओं में यह महसूस किया कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और अफगानिस्तान की स्थिति तथा उसके भविष्य के बारे में व्यापक द्ृष्टिकोण पर समान विचार थे। आतंकवाद को किसी भी राजनैतिक, आर्थिक या वैचारिक आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता। वस्तुत: आतंकवाद के खिलाफ अभियान में किसी मजहब को लक्ष्य नहीं बनाया गया है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छा-शक्ति दिखानी होगी कि आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने वाले सभी रुाोतों तथा उन्हें पनाह देने वाले स्थानों को सभी जगह पूरी तरह से बंद कर दिया जाए।

इसी प्रकार, अफगानिस्तान में एक व्यापक जनाधार वाली प्रतनधिक, स्वतंत्र तथा तटस्थ सरकार के गठन की आवश्यकता पर समान विचार उभर कर सामने आए। वहां पर पुनर्निर्माण कार्यों के लिए व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहायता की जरूरत पर भी बल दिया गया। अफगानिस्तान के राजनीतिक तथा अर्थिक भविष्य के बारे में भारत के न्यायोचित हित को भी व्यापक समर्थन मिला।

इस बात को आमतौर पर स्वीकार किया गया कि अफगानिस्तान में भावी राजनीतिक ढांचे और आर्थिक एजेंडा पर परामर्श करने के लिये ६ + 2 समूह की अपेक्षा एक व्यापक प्रतनधित्व वाले ढांचे की जरूरत है। इसके बाद १६ नवम्बर को भारत ने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में हुई २१ देशों की बैठक में भाग लिया जो अफगानिस्तान की स्थिति पर विशेष रूप से चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। हम अफगानिस्तान में भावी राजनीतिक तथा मानवीय व्यवस्थाओं के बारे में अन्य देशों के साथ मिल कर कार्य करते रहेंगे। हम अफगानिस्तान की सरकार तथा वहां के सभी लोगों के साथ एकता के अपने पारम्परिक संबंधों को कायम रखते हुए उन्हें सुद्ृढ़ भी बनाते रहेंगे।

माननीय सदस्यगण, आप इस बात से सहमत होंगे कि यद्यपि पिछले लगभग १५ दिनों में अफगानिस्तान की स्थिति में जबरदस्त बदलाव आया है और संयुक्त मोर्चा/नार्दन एलांइस राजधानी – काबुल सहित अफगानिस्तान के वभिन्न शहरी क्षेत्रों में घुस गये हैं, फिर भी स्थिति अस्थिर है और तेजी से बदल रही है।

सरकार इस स्थिति पर पूरी तरह से नजर रखे हुये है और सभी संबंधित पक्षों और समूहों से लगातार संपर्क बनाये हुये है।

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SHRI SHIVRAJ V. PATIL (LATUR): Sir, Shri Mulayam Singh Yadav, Shri Somnath Chatterjee and Shri Basu Deb Acharia have raised certain issues. They would certainly be taken up for discussion by you.

MR. SPEAKER: I am going to make an observation about Adjournment Motion.

SHRI SHIVRAJ V. PATIL : My only submission to you is, Sir, that the statement has been made by the hon. Prime Minister and it should be discussed. You may please fix the time and the date for discussion on this.

THE MINISTER OF PARLIAMENTARY AFFAIRS, MINISTER OF INFORMATION TECHNOLOGY AND MINISTER OF COMMUNICATIONS (SHRI PRAMOD MAHAJAN): Sir, the Government is ready for any discussion. Today, in the Business Advisory Committee, we can fix time for discussion. … (Interruptions)

SHRI G.M. BANATWALLA (PONNANI): Sir, you should take up Adjournment Motion first. … (Interruptions)

MR. SPEAKER: Yes. I am making an observation. Please hear me. You are also a senior Member.

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