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Title : Regarding public outcry against the Tehri dam obstructing the flow of the river Ganga at prominent places of pilgrimage in the country.
श्री शैलेन्द्र कुमार (चायल) : उपाध्यक्ष महोदय, इससे पूर्व भी मैं सदन में इस बात को उठा चुका हूं कि टिहरी बांध बांधने से गंगा का अस्तितव इस समय खतरे में है। आपने तमाम समाचार पत्रों में देखा होगा कि गंगा मुक्ति अभियान के लिए और गंगा प्रदूषण रोकने के लिए तमाम जन आंदोलन उग्र रूप ले रहे हैं। मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि गंगा, यमुना दोनों का अस्तित्व खतरे में है। तमाम राज्य चाहे हरियाणा, उत्तरांचल, उत्तराखंड हो, बांध के पानी को रोकने का काम कर रहे हैं जिससे दिल्ली ही नहीं बिहार, उत्तर प्रदेश और तमाम जनपद खतरे में हैं[MSOffice73] ।
इस वजह से गंगा का प्रवाह रुक गया है और सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। यह खासकर हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों और उससे जुड़ी आस्था का सवाल है। हिन्दुओं के कई पर्व शिवरात्रि आदि पर श्रद्धालु गंगा में स्नान करके पूजा-अर्चना करते हैं। यह उनकी धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ मामला है। यहां के धर्मस्थलों के तमाम साधु-संत आज आंदोलन की तरफ उन्मुख हो रहे हैं और उनका आंदोलन उग्र रूप धारण करता जा रहा है।
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से कहना चाहता हूं कि इस आंदोलन से बचने के लिए सरकार तुरंत टिहरी बांध खोले, जिससे गंगा और यमुना में पानी आये तथा उस पानी को नहरों में छोड़कर किसानों द्वारा उसका उपयोग किया जा सके और जहां तक हिन्दुओं की आस्था का सवाल है, यह अपने रूप में अक्षुण्ण रह सके और हिन्दू लोग अपनी आस्था के अनुसार गंगा की पूजा-अर्चना कर सकें। हम चाहते हैं कि सरकार इस ओर तुरंत ध्यान दे।
श्री राम कृपाल यादव (पटना) : सर, मैं इससे अपने आपको सम्बद्ध करता हूं।
उपाध्यक्ष महोदय: ठीक है।