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Regarding Status Of Implementation Of Recommendations In The 2 … on 6 May, 2005

Lok Sabha Debates
Regarding Status Of Implementation Of Recommendations In The 2 … on 6 May, 2005

Title: Regarding status of implementation of recommendations in the 2ndReport of Standing Committee on Rural Development.

१२.०६ hrs

ग्रामीण विकास मंत्री (डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह) : àÉÉxÉxÉÉÒªÉ ãÉÉäBÉE ºÉ£ÉÉ +ÉvªÉFÉ BÉEä ÉÊxÉnæ¶É 73BÉE, ÉÊVɺÉä ÉÊnxÉÉÆBÉE 1 ÉʺÉiÉà¤É®, 2004 BÉEä ãÉÉäBÉE ºÉ£ÉÉ ¤ÉÖãÉäÉÊ]xÉ £ÉÉMÉ-** BÉEä uÉ®É VÉÉ®ÉÒ ÉÊBÉEªÉÉ MɪÉÉ lÉÉ, BÉEä +ÉxÉֺɮhÉ àÉå OÉÉàÉÉÒhÉ ÉÊ´ÉBÉEÉºÉ ºÉÆ¤ÉÆvÉÉÒ ºlÉɪÉÉÒ ºÉÉÊàÉÉÊiÉ (2004-05) के दूसरे प्रतिवेदन में नहित सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति के संबंध में मैं एक वक्तव्य* दे रहा हूं।

ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समति ने वित्तीय वर्ष २००४-०५ के लिए भूमि संसाधन विभाग की अनुदानों की मांगों की जांच की है और इस संबंध में अपना दूसरा प्रतिवेदन लोक सभा में १८ अगस्त, २००४ को प्रस्तुत किया। इस प्रतिवेदन में ४१ सिफारिशें शामिल हैं। विभाग ने इस प्रतिवेदन पर कार्रवाई की है और गई कार्रवाई रिपोर्ट समति को भेजी जा चुकी है। समति ने इस रिपोर्ट की जांच की है और दूसरे प्रतिवेदन में नहित सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट के संबंध में पांचवां प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है। समति ३४ सिफारिशों के संबंध में की गयी कार्रवाई से संतुष्ट है। इनमें से दो सिफारिशों के बारे में समति ने सरकार के उत्तरों को देखते हुए आगे कार्रवाई किए जाने की इच्छा प्रकट नहीं की है। शेष पांच सिफारिशों के बारे में समति ने अपने विचारों से अवगत कराया है और सरकार इन पर आगे कार्रवाई कर रही है।

भूमि संसाधन विभाग तीन क्षेत्र विकास कार्यक्रमों, नामत: समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम (आई०डब्ल्यू०डी०पी०) सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डी.पी.ए.पी.) तथा मरूभूमि विकास कार्यक्रम (डी०डी०पी०) को कार्यान्वित करता है। इन सभी तीनों कार्यक्रमों को १.४.१९९५ से वाटरशेड विकास संबंधी समान मार्गदर्शी सिद्धान्तों के उपबंधों के अनुसार कार्यान्वित किया जा रहा है। वाटरशेड विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं को प्रशासनिक तौर पर तथा वित्तीय रूप से अधिकार सम्पन्न बनाने की द्ृष्टि से हरियाली नाम से एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस पहल के अंतर्गत इन तीनों चल रहे कार्यक्रमों को पंचायती राज संस्थाओं के जरिए कार्यान्वित किया जा रहा है। विभाग के १२६१ करोड़ रूपये के कुल बजट में से ८८३ करोड रूपये अर्थात ७० प्रतिशत राशि को इन तीन क्षेत्र

*(Also Placed in Library, See No. LT – 2121/2005)

विकास कार्यक्रम के लिए आबंटित किया गया है। वर्ष २००४-०५ के दौरान सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम तथा मरुभूमि विकास कार्यक्रम के मामले में १०० प्रतिशत वित्तीय लक्ष्य को तथा समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम के मामले में ९१ प्रतिशत वित्तीय लक्ष्य को प्राप्त किया गया था। समेकित बंजरभूमि विकास कार्यक्रम के मामले में कमी पूर्वोत्तर क्षेत्र में कम व्यय किए जाने के कारण थी।

भूमि अभिलेखों के कम्प्यूटरीकरण के बारे में शत प्रतिशत केन्द्र प्रयोजित योजना भूमि अभिलेखों को रखने तथा अद्यतन करने की मैनुअल प्रणाली में नहित कठिनाइयों को दूर करने तथा वभिन्न प्रयोक्ता समूहों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना के लिए ५० करोड़ रूपये का परिव्यय रखा गया था। वर्ष २००४-०५ के दौरान इस योजना के अंतर्गत ९१ प्रतिशत वित्तीय उपलब्धि रही है। कर्नाटक, गोवा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा उड़ीसा जैसे राज्यों ने इस योजना के अंतर्गत अच्छा कार्य किया है।

भूमि अभिलेखों को अद्यतन करने के कार्य में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की सहायता करने की द्ृष्टि से राजस्व प्रशासन को सुद्ृढ़ बनाने तथा भूमि अभिलेखों को अद्यतन करने (एस०आर०ए० एण्ड यू०एल०आर०) के लिए एक केन्द्र द्वारा प्रयोजित योजना भी चल रही है। इसे केन्द्र तथा राज्यों द्वारा ५०:५० के आधार पर वित्तपोषित किया जाता है, तथापि संघ राज्य क्षेत्रों को पूर्ण केन्द्रीय सहायता मुहैया करायी जाती है। वर्ष २००४-०५ के दौरान इस योजना के अंतर्गत ९८ प्रतिशत की वित्तीय उपलब्धि रही है।

समति ने यह नोट किया है कि केन्द्र तथा राज्यों के बीच ५०:५० के मौजूदा वित्तपोषण अनुपात को 75:25 के अनुपात में तथा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ९०:१० के अनुपात में संशोधित करने के संबंध में सरकार का एक प्रस्ताव था। समति ने यह भी देखा है कि योजना आयोग उक्त प्रस्ताव से सहमत नहीं था। समति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए राजस्व प्रशासन को सुद्ृढ़ बनाने तथा भूमि अभिलेखों को अद्यतन करने की योजना के अंतर्गत केन्द्र तथा राज्यों के बीच वित्तीय पद्वति को ५०:५० से बढ़ाकर ७५:२५ करने तथा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 करने के लिए विभाग के प्रस्ताव पर योजना आयोग से पुन: विचार करने के लिए एक बार फिर अनुरोध किया गया है।

स्थायी समति की मुख्य सिफारिशें निम्नानुसार हैं

समति ने इस बात पर संतोष प्रकट किया है कि विभाग को दिए गए अतरिक्त दायित्वों को देखते हुए योजना आयोग/वित्त मंत्रालय ने विभाग के आबंटन में पर्याप्त रूप से वृद्धि की है। विभाग के लिए बढ़ाए गए आबंटन की प्रशंसा करते हुए समति ने इस बात पर जोर दिया कि विभाग की प्रत्येक योजना के लिए निर्धारित दुर्लभ संसाधनों का उचित और कारगर रूप से उपयोग किया जाये। सिफारिशों के महत्व को ध्यान में रखते हुए विभाग प्रत्येक योजना के लिए निर्धारित की गयी नधियों का कारगर उपयोग करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा नधियों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

दसवीं योजना के लिए १५ मलियन हैक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। समति ने वित्त मंत्रालय तथा योजना आयोग को इस विभाग को पर्याप्त आबंटन उपलब्ध कराने के लिए राजी करते हुए जोरदार सिफारिश की है, ताकि दसवीं योजना के दौरान यह विभाग निर्धारित किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हो सके।

समति ने यह देखा है कि वाटरशेड परियोजनाओं की मूल्यांकन रिपोर्टों से ईंधन, चारे की उपलब्धता तथा वानस्पतिक आच्छादन में वृद्धि होने और इसके अलावा मजदूरी रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने के रूप में सकारात्मक प्रभाव पड़ने का पता चलता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि वाटरशेड परियोजनाओं के कार्यान्वयन में ६० प्रतिशत व्यय से मजदूरी रोजगार अवसर उपलब्ध होते हैं। समति ने यह भी पाया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यू०पी०ए० सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार परिवार के लिए जीविकोपार्जन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए १०० दिनों की मजदूरी रोजगार का आश्वासन दिया गया है। समति ने उपरोक्त स्थिति से यह निष्कर्ष निकाला है कि बंजरभूमि विकास एक ऐसा विकल्प है, जिससे समाज के गरीब वर्ग को मजदूरी रोजगार उपलब्ध होता है।

समति की सिफारिशें कार्य निष्पादन तंत्र की कार्यकुशलता तथा कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए बहुत उपयोगी हैं। सरकार इन सिफारिशों से सहमत है तथा परियोजनाओं को भागीदारी पद्वति के साथ तथा राज्य सरकारों के सहयोग से कारगर रूप से कार्यान्वित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। तथापि, यह भी उल्लेख किया जाता है कि विभाग द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे सभी कार्यक्रम राज्यों के विषय हैं और तदनुसार इन कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करने के लिए मंत्रालय द्वारा सभी प्रयास किए जाते हैं।

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